- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- शामली
- /
- शामली : आर्य समाज के...
शामली : आर्य समाज के 146वें स्थापना दिवस के अवसर पर चतुर्दिवसीय आर्य सम्मेलन मुख्य अतिथि अरविन्द संगल बोले
शामली : आर्य समाज के 146वें स्थापना दिवस के अवसर पर चतुर्दिवसीय आर्य सम्मेलन के तीसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि अरविन्द संगल, निवर्तमान चेयरमैन रहे, ईश्वर ही सर्व सत्य, सर्व व्याप्त, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान व सृष्टि का कारण है। सत्य को ग्रहण करने और असत्य को त्यागने के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए तथा उचित व अनुचित के विचार के बाद ही कार्य आरम्भ करना चाहिए। भारत जब आजाद नहीं हुआ था उस समय देश में अनेक कुरीतियां व सामाजिक बुराईयां फैली हुई थीं, इन बुराईयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना कर, समाज में फैली हर प्रकार की कुरीतियों को दूर किया और आज भी आर्य समाज इस कार्य के लिए सदैव तत्पर है। उक्त उद्गार आर्य समाज मंदिर शामली द्वारा आर्य समाज के 146वें स्थापना दिवस के अवसर पर चतुर्दिवसीय आर्य सम्मेलन के तीसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि अरविन्द संगल, निवर्तमान चेयरमैन, नगर पालिका परिषद् शामली ने व्यक्त किये।
उन्होंने इस अवसर पर समाज को प्रेरणा देने के लिए पं0 सोहन लाल द्विवेदी जी की कविता को सुनाया -
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।
क्यों कि कुछ किये बिना ही किसी की जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
वैदिक विद्धान आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने कहा कि ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप है, जिसका अर्थ ईश्वर के अपने रूप का वर्णन से है। आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने सत्संग भवन में प्रवचन करते हुए कहा कि योगी योग साधना से परमात्मा के दर्शन कर सकता है किंतु परमात्मा के आलौकिक स्वरूप वर्णन नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि सच्चिदानंद तीन शब्दों सत, चित और आनंद शब्द से मिलकर बना है। अर्थ शास्वत रहने वाला जिसका आदि और न अंत हो। ईश्वर, आत्मा और प्रकृति का कभी विनाश नहीं होता है। उन्होंने कहा कि चित का अर्थ चेतन होता है। चेतन वह होता है जिसमें ज्ञान व गति का गुण हो, जिसमें यह गुण न हो व जड़ है। जीवात्मा और परमात्मा चेतन है, जो चेतन होता है वही चेतना जगा सकता है। इस दौरान उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद और स्वामी दयानंद सरस्वती का एक प्रसंग सुनाकर जड़ और चेतन के रहस्य को सरल शब्दों में समझाया।
मुख्य यजमान प्रधान सुभाष गोयल आर्य व सुदेश गोयल, प्रदीप संगल व बबीता आर्य, पीयूष आर्य व वर्तिका आर्य, मनोज गोयल व मंजू आर्य रही। यज्ञ के ब्रह्मा आर्य समाज के पुरोहित डा. रविदत्त शास्त्री रहे। जिसके बाद भजनोपदेशक नरेंद्र दत्त आर्य ने भजनों के माध्यम से आर्यजनों का मार्ग दर्शन किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि पूर्व नगर पालिका चेयरमैन अरविंद संगल को शॉल ओढ़ाकर व वैदिक पुस्तिका भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संरक्षक रघुवीर सिंह आर्य, पूरण चंद आर्य, प्रधान सुभाष गोयल, मंत्री सुभाष धीमान, कोषाध्यक्ष रविकांत आर्य, दैनिक यज्ञ प्रभारी राजपाल आर्य, दिनेश आर्य, बीरबल आर्य, वेदप्रकाश आर्य, सत्यप्रकाश आर्य, सतीश धीमान, नरेन्द्र अग्रवाल, पवन काम्बोज लखमी चंद, रामेश्वर दयाल आर्य, संजय धीमान, सुधाकर आर्य, अशोक आर्य, सतीश धीमान, शारदा आर्य, कौशल्या आर्य, मिथलेश आर्य, पूनम आर्य, मंजू आर्य, अर्चना आर्य, हेमलता आर्य आदि उपस्थित रहे।