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अनुदेशकों ने की श्रावस्ती सांसद राम शिरोमणि से मुलाकात, सांसद ने बोले संसद में करूंगा सवाल
उत्तर प्रदेश के अनुदेशक भुखमरी के कगार पर है। लिहाजा जहां भी कुछ सकारात्मक पहलू दिखता है वहीं अपनी फ़रियाद लेकर पहुँच जाते है। अभी लोकसभा का विशेष सत्र का आयोजन हो रहा है जो आज शुरू होगा एसे में अम्बेडकर नगर जिला संयोजक सुदर्शन त्रिपाठी के नेतृत्व में अनुदेशकों के एक प्रतिनिधिमंडल से श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र के सांसद राम शिरोमणि से मिलकर अपनी समस्या से अवगत करते हुए अपना मांग पत्र सौंपा।
सांसद राम शिरोमणि ने अनुदेशकों की बात सुनकर हैरानी जताते हुए कहा कि यह तो अमानवीय कृत्य है और इसे में संसद में जरूर उठाऊँगा ताकि प्रदेश के 27500 परिवार में खुशहाली आ सके।
इस मुलाकात में अनुदेशकों नें उन पर हो रहे अमानवीय, लोकनीत के विरुद्ध शोषण पर अपनी बात रखी। इन बातों को सांसद राम शिरोमणि बड़े ही धैर्य और सहज भाव से सुना और हमारी समस्याओं को समझते हुए यह भरोसा दिलाया कि आपके अच्छे भविष्य और अधिकार के लिए खड़ा रहूंगा। अनुदेशकों ने बताया कि सांसद का व्यवहार ऐसा था जैसे एक बड़ा भाई अपने छोटे भाई को दिलासा दिलाता है। सांसद से अनुदेशकों की आंखों में उम्मीद की किरणें जगी है।
ये मांग पत्र सौंपा
सादर सेवा में श्रीमान
माननीय सांसद जी
विषय- परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों पर लगातार हो रहे अमानवीय, लोकनीति के विरुद्ध शोषण के सम्बन्ध में।
मान्यवर! संवैधानिक, वैधानिक, एवं अधिनियम से नियुक्त उत्तर प्रदेश का समस्त अनुदेशक निम्नलिखित अति महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आप महानुभाव का ध्यान आकृष्ट कर अविलंब उपचारात्मक कार्यवाही किए जाने की प्रार्थना करता है।
1. यह कि अनुदेशकों के सम्बन्ध में बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारीगण आरम्भ से ही नकारात्मक होकर ! नियम, अधिनियम, एवं शासनादेशों की मनमानी व्याख्या कर भिन्न भिन्न प्रकार के शोषणकारी आदेश निकालते रहते हैं।
2. यह कि प्रताड़ित करने वाले ऐसे आदेशों के विरुद्ध हम अनुदेशक व्यथित एवं विवश होकर सद्भावपूर्ण एवं लोकतांत्रिक तरीके से सरकार के सभी अंगों से न्याय प्राप्त करने के लिए गुहार लगाते रहें हैं।
3. यह कि पूर्व समय में आप महोदय की सरकार ने हम अनुदेशकों के हित में मानदेय बढ़ोत्तरी सहित कुछ कल्याणकारी निर्णय भी लिया था लेकिन कुछ जिम्मेदार अधिकारियों ने सरकार की छवि पर कलंक लगाने के उद्देश्य से षडयंत्र पूर्वक लिए गए कल्याणकारी निर्णयों को लागू नहीं होने दिया बल्कि अनुदेशकों को पीड़ा, अवसाद, क्षोभ, एवं उत्साह को कुंद करने वाले मानदेय कटौती, मानदेय रिकवरी जैसे अनेक आदेश कर अनुदेशकों की आशा और आकांक्षा पर लगातार तुषारापात करते आ रहे हैं।
4. यह कि हम अनुदेशकों के सम्बन्ध में मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में गठित इलाहाबाद हाईकोर्ट के डबल बेंच ने निष्पादन करने योग्य अनेक आदेश एवं निर्देश दिया है।
उपरोक्त न्याय निर्णायन का पालन करने के बजाय! सरकार हम गरीब एवं शोषित अनुदेशकों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका कर न्याय को विलंबित कर रही है।
महनीय महोदय! सरकारी पीड़ा एवं शोषण सहने के बाउजूद भी हम अनुदेशक पुर्ण मनोवेग, सेवा भाव एवं राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ गरीबों, मजदूरों एवं वंचितों के बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं।
तकनीकी रूप से दक्ष उत्तर प्रदेश के समस्त अनुदेशकों ने नवाचार एवं नवीन कार्य संस्कृति से बेसिक शिक्षा में हो रहे सुधारों में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
महोदय! हम अनुदेशकों को बेसिक शिक्षा में लगातार सेवा देते हुए दस वर्षों से अधिक समय व्यतीत हो चुके हैं, हमारे अधिकांश अनुदेशक साथी चालीस वर्ष से अधिक उम्र को पार कर चुके हैं।
अतः आप महानुभाव से उत्तर प्रदेश के समस्त अनुदेशक प्रार्थना करता है कि न्यायिक न्याय निर्णायन के आलोक में, शिक्षा एवं शिक्षकों के हित में, मानवीय आधार पर हम अनुदेशकों को संविदा की जंजीरों से मुक्त कर नियमित करने की कृपा करें।
सादर विक्रम सिंह