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UP News: वट वृक्ष पर विराजती हैं माता वटवासिनि, दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में डुमरियागंज तहसील से 10 किलोमीटर दूर गालापुर में स्थित है, माता का यह भव्य दरबार। माता महाकाली का ये स्थान आबादी से तो दूर है लेकिन शांति से भरपूर है। स्थान तक पहुंचने के लिए बना विशाल द्वार स्थान तक पहुंचाता है। यहां आने पर श्रद्धालुओं के मन को मिलने वाली शांति उन्हें बार बार आने पर मजबूर कर देती है। मान्यता है कि यहां श्रद्धा से मांगी गई सभी मनौती माता पूरी करती हैं।
जानिए इतिहास
किवदंतियों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि, करीब 2 हजार वर्ष पूर्व कलहंस वंश के राजा केशरी सिंह ने अपने राज पुरोहितों से कुल देवी महाकाली को लाने का आदेश दिया। पुराहितों ने गोण्डा के खोरहस जंगल में जाकर छह माह तक कठिन तपस्या की। तब जाकर काली मां प्रकट हुई और मांगने की अनुमति दी। तो पुराहितों ने अपनी बात बताते हुए साथ चलने का आग्रह किया। माँ ने कहा कि ठीक मैं चलूगी, लेकिन एक शर्त है, जहां भी एक बार हमको रख दोगे मैं वहीं स्थापित हो जाऊगीं। और सामने मदार के पौधे का सिर पर रखने का आदेश देते हुए कहा कि मैं इसी में चल रही हूं। एक पुरोहित ने पौधे को सिर पर रखा और सभी पुरोहित चल पड़े। जब सभी पुरोहित राज दरबार के पास पहुंचे तो राजा के कुछ चाटुकारों ने मजाक समझते हुए राजा से कहा कि ये मदार को सिर पर रख कर इसे महाकाली बता रहे हैं। राजा ने भी बिना विचार किए मदार को वही जमीन पर रख देने का आदेश दे दिया। पुरोहितों ने जैसे ही मदार भूमि पर रखा भयंकर गर्जना हुई और जमीन फट गई और मदार उसी में समा गया। और वट वृक्ष निकल आया जो आज भी मौजूद है। जिसे माता वटवासिनी स्थान गालापुर के नाम से जाना जाता है।
नवरात्रि में लगती है श्रद्धालुओ की भारी भीड़
नवरात्रि में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है,जो माता का दर्शन कर मनौती मांगते हैं और पूरी हो जाने पर प्रसाद चढ़ाते हैं। नवरात्रि में माता के स्थान पर दियों को जलाकर,दीप दीपावली मनाई जाती है। जहां पर श्रद्धालु लाखों की संख्या में दीपों को जलाकर खुशी मनाते हैं।