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- वैसे तो दुकान व मकान...
वैसे तो दुकान व मकान बनवाने के लिए तमाम नियम कानून है,लेकिन जब कोई सत्ताधारी सामने हो तो सारे नियम और कानून खुद-ब-खुद धराशाही हो जाते हैं
सब के लिए कहने को नियम कानून एक है। वैसे तो दुकान व मकान बनवाने के लिए तमाम नियम कानून है,लेकिन यही काम जब कोई सत्ताधारी करने लगता है तो वही सारे नियम कानून खुद-ब-खुद धराशाही हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला आज सुल्तानपुर में देखने को मिला,जहां आरोप है कि नगर पालिका की जमीन पर दशकों से हो रहे रामलीला मंचन की जमीन कब्जे की नियत है। इतना ही नहीं इसी जमीन पर वर्षों से बने विद्यालय में व्यवसायिक दुकान व मकान का भी निर्माण हो रहा है। आरोप तो यह भी है कि नगर पालिका परिषद के कागजों में हेराफेरी कर उसे रामलीला ट्रस्ट के नाम करा लिया गया है। जबकि सरकारी अभिलेख के फार्म 45 में अभी भी रामलीला मैदान की ये जमीन नगरपालिका परिषद सुल्तानपुर के नाम दर्ज है। हालांकि रामलीला समिति ट्रस्ट के लोग सामाजिक संगठनों के आरोप को बेबुनियाद बता रहे हैं।
दरअसल ये मामला है रामलीला मैदान का। जहां करीब एक सौ साठ वर्षों से चौक के आस पास के व्यापारियों ने नगर पालिका की जमीन इसी जमीन पर रामलीला मंचन शुरू करवाया था। वर्षों बाद किसी ने इसी जमीन पर संत तुलसीदास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का निर्माण करवा दिया गया। जबकि इस विद्यालय की जमीन ब्लॉक दूबेपुर के पलहीपुर में आवंटित है। इसी बीच कुछ लोगों ने रामलीला के नाम से ट्रस्ट बना लिया और नगर पालिका के कागजों में हेरीफेरी कर इस जमीन को ट्रस्ट के नाम कर लिया। जबकि सरकारी अभिलेख के फॉर्म 45 में अब भी यह जमीन नगर पालिका के नाम दर्ज है। अब ट्रस्ट के लोगों ने विद्यालय को जर्जर बताते हुये अंदर ही अंदर नया निर्माण शुरू कर दिया है।
यह हम नही कह रहे है यह लोगों ने आरोप लगाया है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि यहां शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाकर इस रामलीला मैदान की जमीन को कब्जा कर लिया जाएगा। इस बात की जानकारी जब स्वयं सेवी संगठनों को लगी तो राजपुताना शौर्य फाउंडेशन, क्षत्रिय कल्याण परिषद समेत कई व्यापारिक और सामाजिक संगठन आज रामलीला मैदान पहुंच कर प्रदर्शन करने लगे। इनकी माने तो यहां ट्रस्ट के लोगों द्वारा अवैध कब्जा करके दुकाने और मकान बना के रामलीला मैदान का अस्तित्व ही खत्म कर दिया जाएगा। इसी बात से नाराज ये लोग यहां एकत्रित हो कर प्रदर्शन कर रहे हैं।
हालांकि रामलीला समिति ट्रस्ट के लोग सामाजिक संगठनों द्वारा लगाए गए आरोप को बेबुनियाद बता रहे हैं। इनकी माने तो विद्यालय भवन जर्जर हो चुका है और जमीनें धंस गई है। इसको लेकर रामलीला कमेटी ट्रस्ट और विद्यालय प्रबंध कमेटी ने बैठक की है और आलाधिकारियों को पत्र भेज कर उनसे दिशा निर्देश मांगा है। जैसा आदेश होगा उसी आधार पर कार्य करवाया जाएगा।
फ़ा/वीओ-भले ही रामलीला कमेटी ट्रस्ट और प्रबंध कमेटी सदस्य द्वारा अधिकारियों के निर्देश पर निर्माण करवाने की बात कही जा रही है,लेकिन सच्चाई ये है कि यहां नियम कानून को धता बताते हुये धड़ल्ले से काम करवाया जा रहा है। ऐसे में आम लोगों के लिये तमाम नियम कानून बताने वाले अधिकारियों की चुप्पी कहीं न कहीं बड़े सवाल खड़े कर रही है।