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आजीविका पर छाया था संकट, हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में डीजे बजाने पर लगी रोक को अब हटा दिया है 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डीजे को शोर की वजह बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि जिस याचिका पर आदेश जारी हुआ उसमें ऐसी कोई मांग नहीं की गई थी। याचिकाकर्ता ने सिर्फ एक इलाके में हो रहे शोर का मसला रखा था. लेकिन हाईकोर्ट ने पूरे राज्य के लिए आदेश दे दिया. ऐसा करते समय प्रभावित पक्षों को सुना भी नहीं गया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि डीजे से ध्वनि प्रदूषण होता है और यह अप्रिय व खिन्न करने वाला होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के करीब 1 दर्जन डीजे संचालकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह माना कि हाईकोर्ट का आदेश आजीविका कमाने के मौलिक अधिकार का हनन करता है. जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने डीजे संचालकों को राहत देते हुए यह भी कहा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पहले दिए गए निर्देशों का पालन हो. राज्य सरकार की तरफ से बनाए गए नियमों के मुताबिक लाइसेंस लेकर ही डीजे बजाया जाए.
शीर्ष अदालत ने अक्तूबर 2019 में हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया था। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि उच्च न्यायालय ने डीजे ऑपरेटरों को सुने बिना ही प्रतिबंध लगा दिया था और एक असंबंधित याचिका में आदेश पारित किया।
इस पेशे से जुड़े लोगों की पैरवी करने वाले वकील दुष्यंत पाराशर का कहना है कि डीजे ऑपरेटर विवाह समारोह, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर रोजी-रोटी चलाते हैं। हाईकोर्ट के आदेश से उनकी आजीविका पर संकट पैदा हो गया है। याचिका में कहा गया है यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।