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विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हारने के बाद चुप्पी तोड़ दी थी। स्वामी प्रसाद मौर्य फाजिलनगर से सपा की टिकट पर दांव आजमा रहे थे। यहां वह अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी से चुनाव हार गए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने चुनाव हारने के बाद ट्वीट कर जीतने वाले विधायकों को बधाई दी। यूपी में भाजपा को मिले बहुमत को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा मैं लोगों के जनादेश का सम्मान करता हूं। हार और जीत लोकतंत्र का हिस्सा हैं। मैं चुनाव में अपनी हार स्वीकार करता हूं।
मैं अपनी हिम्मत नहीं चुनाव हार गया हूं। जिन मुद्दों के लिए मैंने बीजेपी छोड़ी, वे अब भी हैं और उन मुद्दों को जनता के सामने रखेंगे। उन्होंने सांप और नेवले का किस्सा सुनाते हुए कहा, हमेशा बड़ा तो नेवला ही होता है। यह बात अलग है कि नाग और सांप दोनों ने मिलकर नेवले को जीतने नहीं दिया। उन्होंने आगे कहा, जहां लोगों ने समझा वहां पर परिणाम सकारात्मक भी आए हैं। हमें खुशी है कि समाजवादी पार्टी का जन आधार तेजी से आगे बढ़ा और विधायकों की संख्या भी 2.5 गुना बढ़ी और सपा एक बड़ी ताकत बन कर उत्तर प्रदेश में उभरी है। उसे और बड़ा बनाने के लिए ये अभियान जारी रहेगा।
खोखले रह गए स्वामी प्रसाद के दावे
बड़े बड़े दावों के साथ समाजवादी पार्टी में गए स्वामी प्रसाद मौर्य ना तो सपा को सत्ता में ला पाए और ना ही अपनी सीट जीत के। चुनाव परिणाम में एक ओर जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन का प्रभाव दिखा, वहीं दूसरी ओर स्वामी प्रसाद इस चुनाव में बड़बोले भर साबित हो कर रह गए हैं। आरपीएन ने जिले के सभी सात सीटों में चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी और परिणाम शत प्रतिशत भाजपा के पक्ष में आया।
वहीं दूसरी ओर चुनाव से पहले सपा में जाने के बाद स्वामी प्रसाद ने जो दावे किए थे, वह सभी खोखले साबित हुए हैं। स्वामी प्रसाद ने भाजपा छोड़ने के बाद दावा किया था कि उनके पीछे पूरा ओबीसी व दलित समाज सपा के पक्ष में आ गया है। वह भाजपा को सत्ता से दूर कर देंगे। इसके कुछ ही दिन बाद कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह भाजपा में आ गए। उन्होंने केवल इतना ही कहा था कि वह भाजपा में एक आम कार्यकर्ता की तरह जी जान से काम करेंगे। जब पडरौना आए तभी से भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में दिन रात एक कर दिए।