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स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा में वापसी से किया इंकार, कहा कमान से निकला तीर वापस नहीं जाता
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को भाजपा में वापसी से इनकार करते हुए दावा किया कि मंत्री पद से उनके इस्तीफे के बाद राज्य में सत्तारूढ़ दल में भूचाल आ गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने 14 जनवरी को सपा में शामिल होने का संकेत भी दिया। इस बीच, मौर्य के मंत्री पद से इस्तीफे के एक दिन बाद उनके खिलाफ सुलतानपुर की एक स्थानीय अदालत ने देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के सात साल पुराने एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में वापसी की संभावना के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा मेरे इस्तीफे के बाद दर्जनों नेताओं के मुझे फोन आए लेकिन अब उस टेलीफोन का कोई मतलब नहीं रह जाता, इसलिए मैं किसी से बात नहीं कर रहा हूं। कमान से निकला तीर वापस कभी नहीं आता।
साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके इस्तीफे के बाद भाजपा में भूचाल आ गया है। आगे उन्होंने कहा, पहले जो मंत्रियों से सीधे बात नहीं करते थे, आज उनकी आरती उतारते नजर आ रहे हैं। आज एक-एक विधायक, सांसद और मंत्री की घेराबंदी हो रही है। जिन विधायकों का टिकट कटने वाला था, मेरे इस्तीफे से उनका टिकट बचने जा रहा है लेकिन इसके बावजूद इनकी सरकार बचने वाली नहीं है। मौर्य ने आगामी 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने का संकेत दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनके साथ और कौन-कौन सपा में शामिल होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा 14 जनवरी को सबकुछ साफ हो जाएगा। मौर्य ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, आज इनको अपनी हैसियत का पता लगा और स्वामी प्रसाद मौर्य कौन सी बला है, इसका भी एहसास आज इनको हो गया है। पहले अगर एहसास हो गया होता तो न इनकी मनमानी चलती, न दलितों और पिछड़ों की अनदेखी होती और न वे मदांध होकर जनता के हितों के साथ खिलवाड़ करते। उत्तर प्रदेश को चारागाह समझने वाले लोग सावधान रहें। उत्तर प्रदेश अगर किसी को आमंत्रित करता है तो उसकी विदाई भी सम्मान के साथ करता है।
बता दें कि अपनी पुत्री और भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य के अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर मौर्य ने कहा कि वह अपना फैसला खुद लेंगी। उन्होंने भाजपा नेतृत्व पर हमला करते हुए कहा कि पूरे पांच वर्षों तक वह दलितों, पिछड़ों तथा अन्य वंचित वर्गों के मुद्दे उठाते रहे, मगर भाजपा सरकार कुम्भकर्ण की नींद सोती रही। इस सवाल पर कि भाजपा ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को उन्हें पार्टी में दोबारा लाने की मुहिम पर लगाया है, साथ ही मौर्य ने कहा कि केशव उनके छोटे भाई हैं मगर वह खुद भी भाजपा में बेचारा बनकर समय काट रहे हैं। इस बीच, मंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद बुधवार को सुलतानपुर की एक अदालत ने देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के एक मामले में मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बताया कि वर्ष 2014 में देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में मौर्य के खिलाफ वर्ष 2016 में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था, लेकिन मौर्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया था।
मीडिया में छपी खबरों के अनुसार उन्होंने बताया कि छह माह की अवधि पूरी हो जाने पर अदालत में बुधवार 12 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य को हाजिर होना था, मगर उनके उपस्थित नहीं होने पर न्यायाधीश योगेश कुमार यादव की अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। मामले की अगली सुनवाई अब 24 जनवरी को होगी। अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रभावशाली नेता माने जाने वाले मौर्य का पूर्वांचल के कई क्षेत्रों में दबदबा माना जाता है। वह वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और कुशीनगर की पडरौना सीट से चुनाव जीतकर श्रम मंत्री बने थे।
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