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योगी सरकार से अनुदेशक और शिक्षामित्रों का सवाल, कब आएगी हमारे लिए अच्छी खबर?
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रदेश का 27000 हजार अनुदेशक और डेढ़ लाख शिक्षा मित्र निवेदन करता है, आप अब हमारा उद्धार कर दीजिए अब जीवन जीने का भी मन नहीं करता है। यह बात अधिकतर शिक्षा मित्रों अनुदेशकों द्वारा कही जा रही है।
उत्तर प्रदेश के अनुदेशक शिक्षा मित्र वादा कर रहे है कि अगर हमें सरकार आर्थिक सहयोग कर देती है तो मानसिक रूप से हम सरकार का और ज्यादा सहयोग करने के लिए तैयार बैठे है। शिक्षा मित्र अनुदेशकों ने कहा कि हम 2014 से लगातार बीजेपी के साथ है। हमने 2014 में वोट दिया तभी बीजेपी की 73 लोकसभा सीटें आई। उसके बाद जब बीजेपी के नेताओं ने हमसे 2017 में सहयोग मांगा हमने दिया और हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब सांसद हुआ करते थे तब से हमारे मुद्दे पर हमेशा मुखर सवाल सरकारों से करते रहे है।
हमने सीएम योगी के कहने पर लोकसभा 2019 में फिर से वोट दिया ओर केंद्र में मोदी सरकार बनी हालांकि इस दौरान पीएम मोदी ने भी शिक्षा मित्र अनुदेशकों से वाराणसी में वादा किया। उसके बाद भी सरकार ने हमें कुछ नहीं दिया। हम सरकार के अंग है और रहेंगे सरकार हमें अपना माने न माने। जिस तरह से शरीर से जान अलग कर दि जाए तो वो निर्जीव होता है। उसी तरह से शिक्षा मित्र अनुदेशक जब तक काम कर रहा है सरकार का महत्त्वपूर्ण अंग है।
महिला शिक्षा मित्र ने रोते रोते अपनी बात कहते हुए बताया कि हमारी बेटियाँ ही जो अब हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाना चाहती है लेकिन हम उन्हे नहीं भेज सकते है। जबकि सरकार के द्वारा दी गई प्रत्येक जिम्मेदारी का पूरी तरह निर्वाहन करते है। बच्चे कई होलियाँ और दीपावली गुजर जाती हम कपड़े नहीं दिला सकते। क्या करें हम तो अपना दुख किस सुनाए। जब हमारा मुखिया हमसे रूठा हो तो हम अपना दुखड़ा किसे सुनाएं।
एक शिक्षा मित्र ने कहा कि चाहे सरकार हमारे ऊपर कितना भी विश्वास न करे लेकिन हम सरकार के साथ न कभी कोई विश्वास घाट किया है न करेंगे। हमारे साथी धीरे धीरे इस दुनिया से इसी गम और अवसाद में मौत के मुंह में चले जा रहे है कुछ जी रहे है लेकिन वो निर्जीव हो चुके है। हम अपनी आवाज योगी सरकार के कानों तक पहुँचने का प्रयास कर रहे है कि सुनिए सरकार हम आए है आपके द्वार बचा लीजिए हमारे भी परिवार।
आए दिन मौतों से बिचलित है शिक्षा मित्रों के परिवार
आए दिन मौतों से विचलित हो रहे है शिक्षा मित्र और अनुदेशकों के परिवार। क्योंकि एक मौत से कई रिश्तों की मौत हो जाती है। परिवार के रिश्ते बदल जाते है मासूम बचके यतीम हो जाते है। परिजन इन घटनाओ से बहुत विचलित है। शिक्षा मित्रों से अब परिजन कोई खर्चे संबंधी सवाल भी नहीं करना चाहते है लेकिन घर का खर्चा चलेगा कैसे ।