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राम मंदिर को लेकर कार्यशाला में बढ़ी हलचल, जानिए अब तक पत्थरों को तराशने में कितने कारीगर काम पर लगाए गए
उत्तर प्रदेश। संविधान पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू यह मामले में दिन-प्रतिदिन की सुनवाई का आज 5 वां दिन है।
सुप्रीम कोर्ट में श्रीराम जन्मभूमि मामले में सप्ताह में पांच दिन नियमित सुनवाई होने से यहां विश्व हिंदू परिषद की राम जन्मभूमि कार्यशाला में हलचल तेज हो गई है और कार्य भी तेजी से होने लगे है। कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए 1990 से लेकर अब तक तराशे गए पत्थर रखे हैं। अब इन पत्थरों को चमकाने का काम भी जोर पकड़ने लगा है। उम्मीद की जा रही है कि राम जन्मभूमि न्यास की बैठक शीघ्र हो सकती है। इसमें शेष पत्थरों को राजस्थान से अयोध्या लाने और कार्यशाला में कारीगरों की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
अयोध्या के राम घाट क्षेत्र में 30 अगस्त 1990 में कारसेवकपुरम् कार्यशाला की स्थापना की गई थी। विवादित ढांचा ढह जाने के बाद 1992 में राम जन्मभूमि कार्यशाला शुरू हुई थी। तब यहां 125 कारीगर काम पर लगाए गए थे। बाद में 50 कारीगरों ने काम जारी रखा। 2007 से 2010 तक पत्थरों की कमी के कारण काम बंद हो गया । 2011 से काम फिर शुरू हुआ और तब से आज तक जारी है। राम मंदिर के लिए अब तक 70 प्रतिशत पत्थर तराशने का काम पूरा हो चुका है। राम मंदिर के ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा हो चुका है। उसमें लगने वाले 106 स्तंभ तैयार हो चुके हैं। इन हर स्तंभों पर फूल पत्ती और 16 मूर्तियां बनाई गई हैं। इसके अतिरिक्त सिंहद्वार, रंग मंडप, कोली गर्भ ग्रह का काम भी पूरा हो चुका है।
आपको बता दें कि 6 अगस्त से अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई है। रोजाना सुनवाई के तहत हफ्ते में तीन दिन मंगल-बुध-गुरुवार को मामला सुना जाता है। लेकिन 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि वह हफ्ते में पांच दिन इस मामले को सुनेगा। अब हर हफ्ते सोमवार से शुक्रवार तक केस की सुनवाई अदालत में होगी। जिसको लेकर मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील राजीव धवन ने एक अपील की थी जिसमें उन्होंने हफ्ते में पांच दिन तक सुनवाई का विरोध किया था. राजीव धवन ने अदालत से कहा कि ये सिर्फ एक हफ्ते का मामला नहीं है, बल्कि लंबे समय तक चलने वाला केस है. उन्होंने कहा कि हमें दिन-रात अनुवाद के कागज पढ़ने होते हैं और अन्य तैयारियां करनी पड़ती हैं।