उन्नाव

देश की मुकम्मल आजादी के पैरोकार थे सैय्यद हसरत मोहानी -ज्ञानेन्द्र रावत

Shiv Kumar Mishra
13 May 2020 2:36 PM GMT
देश की मुकम्मल आजादी के पैरोकार थे सैय्यद हसरत मोहानी -ज्ञानेन्द्र रावत
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आजादी के आंदोलन के अमर सेनानी, उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के मोहान कस्बे के निवासी, मशहूर शायर, देश की मुकम्मल आजादी की सर्वप्रथम मांग करने, महात्मा गांधी के अनुसार मुस्लिम समाज के महान रत्न और देश को इंकलाब जिंदाबाद का नारा देने वाले सैय्यद हसरत मोहानी के नाम से विख्यात सैय्यद फजल उल हसन की पुण्य तिथि पर सादर शत-शत नमन।

14 अक्टूबर 1878 को उन्नाव के मोहान कस्बे में जमींदार परिवार में जन्मे सैय्यद फजल उल हसन मोहान में जन्म लेने के कारण सैय्यद हसरत मोहानी के नाम से मशहूर हो गये। उन पर उन्नाव के डौडिया खेड़ा के राजा राव रामबक्श सिंह की शहादत का ऐसा असर हुआ कि छात्र जीवन में ही वह आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में अध्ययन के दौरान बरतानिया हुकूमत के खिलाफ लिखने के कारण उन्हें जेल हुई जहां रोजाना चक्की पर एक मन गेहूँ पीसना पड़ता था लेकिन माफी मांग कर जेल से बाहर आना उन्होंने मंजूर नहीं किया।

बरसों से मुकम्मल आजादी की मांग करने वाले हसरत मोहानी का सपना 1929 में कांग्रेस के अधिवेशन मे पूरा हुआ जब कांग्रेस ने सर्वसम्मति से पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव स्वीकार किया। जब जब आजादी के आंदोलन की बात आयेगी, तब तब उनका नारा "इंकलाब जिंदाबाद" और उनका नाम हमेशा याद किया जाता रहेगा।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।

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