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UP News : नवोदय छात्रा हत्याकांड में SIT ने की चार्टशीट दाखिल, सीओ और थानेदार को बताया दोषी
नवोदय की छात्रा की मौत के मामले में तत्कालीन सीओ और तत्कालीन थाना प्रभारी भोगांव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एसआईटी ने इन पुलिस अधिकारियों को जांच में लापरवाही करने का दोषी माना हैऔर इनके खिलाफ चार्टशीट दाखिल कर दिया है। एसआईटी की इस कार्रवाई से महकमे में हड़कंप मच गया है। कुछ और अधिकारी भी इस मामले में एसआईटी की जांच के रडार पर है। एडीजी कानपुर भानू भास्कर ने इन अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए एडीजी आगरा को पत्र लिखा है और इन अधिकारियों को लेकर की गई जांच की रिपोर्ट मांगी है।
यह था पूरा मामला
बता दें कि 16 सितंबर 2019 को भोगांव के नवोदय विद्यालय में कक्षा 11 की छात्रा का शव फांसी पर लटका मिला था। छात्रा की मौत के बाद हुए घटनाक्रम और जांच में लापरवाही की पुष्टि होने पर इन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया था। उस समय भोगांव के क्षेत्राधिकारी प्रयांक जैन थे। कोतवाली प्रभारी के रूप में पहुप सिंह की तैनाती थी। एसआईटी ने इस मामले में छात्रा के पिता की तहरीर पर आरोपी बनाई गई नवोदय की पूर्व प्रधानाचार्य सुषमा सागर को दोषी ठहराते हुए उनकी गिरफ्तारी की और उन्हें जेल भेज दिया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर एडीजी कानपुर भानू भास्कर की अध्यक्षता में एसआईटी छात्रा की मौत की जांच कर रही है। कोर्ट से भी सुषमा सागर की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। अब एसआईटी तत्कालीन पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है।
मांगी गई जांच रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एडीजी भानू भास्कर ने तत्कालीन सीओ प्रयांक जैन, थाना प्रभारी पहुप सिंह को इस मामले में दोषी माना है। साथ ही उनके खिलाफ 7 दिसंबर को आरोप पत्र तैयार किया गया और उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए भेजा गया। एडीजी भानू भास्कर ने एडीजी आगरा को पत्र भेजकर सीओ प्रयांक जैन की जांच से जुड़ी एएसपी मैनपुरी की रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में तत्कालीन एडीजी ए सतीश गणेश की ओर से सीओ को चेतावनी दी गई थी। इसकी प्रमाणित प्रति भी मांगी गई है। इसके अलावा सीओ और थाना प्रभारी पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के अभिलेख तलब किए हैं।
सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध आ रहा है नजर
बता दें कि नवोदय की छात्रा की मौत की जांच कर रही एसआईटी के हाथ एक संदिग्ध व्यक्ति का सीसीटीवी फुटेज लगा है। एसआईटी और स्थानीय पुलिस इस संदिग्ध की पहचान करने में लगी हुई है लेकिन इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही। इस संदिग्ध की कोई जानकारी न मिलने के बाद अब एसआईटी ने सीसीटीवी फुटेज में आ रहे इस व्यक्ति की पहचान के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। जिसके बाद जनपद के लोगों से इस संदिग्ध के बारे में जानकारी देने की अपील की गई है।
जो व्यक्ति सीसीटीवी फुटेज में नजर आ रहा है, उसकी उम्र करीब 40 से 50 के बीच है और यह स्कूल के मार्ग पर पैदल जा रहा है। एसआईटी का कहना है कि इस व्यक्ति के बारे में जो भी जानकारी दी जाएगी उसे पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा। जानकारी देने वाले का नाम बता दी सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। छात्र की मौत की जांच से जुड़े एसआईटी के अपर पुलिस अधीक्षक का एक मोबाइल नंबर भी जारी किया गया है और जनपद के लोगों से अपील की गई है कि इस व्यक्ति की बारे में कोई जानकारी किसी को हो तो वह अपर पुलिस अधीक्षक के मोबाइल नंबर 9454 4578 04 पर सीधी जानकारी दे सकता हैं या अपर पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर इस संदिग्ध के बारे में बताया जा सकता है।
सीओ और थानाधिकारी को दोषी बताया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नवोदय की छात्रा की मौत के मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर चल रही जांच में एसआईटी ने पूर्व प्रधानाचार्य की गिरफ्तारी के बाद सीओ और इंस्पेक्टर पर एसआईटी की जांच रिपोर्ट में लापरवाही के दोषी करार दिया है लेकिन इस मामले के असली गुनहगारों से एसआईटी अभी भी कोसों दूर है। एसआईटी को अब तक की जांच और कार्रवाई के संबंध में हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना है। इस प्रकरण में हाईकोर्ट लगातार गंभीरता से सुनवाई कर रहा है। 16 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था और डीजीपी को तलब कर इस पूरे प्रकरण का जल्द खुलासा करने के दिशा निर्देश दिए हैं। इसके बाद से एडीजी भानु भास्कर के निर्देशन में 6 सदस्यीय एसआइटी इस मामले की जांच कर रही है।
इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता एमपी सिंह एसआईटी पर लगातार आरोप लगा रहे हैं कि इस मामले के एसआइटी सबूतों को नष्ट कर रही है। सीबीआई जांच की मांग एमपी सिंह कर चुके हैं। उधर मृत छात्रा के परिजन भी एसआईटी की जांच पर सवाल उठा चुके हैं और मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। बता दें कि एसआईटी हाईकोर्ट में 5 बार अपनी रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है लेकिन हर बार हाईकोर्ट ने एसआईटी को यही कहा है कि वह मामले का खुलासा करने के बाद पूरी रिपोर्ट दाखिल करें। आधी और अधूरी रिपोर्ट हाईकोर्ट ने लेने से साफ इंकार कर रखा है।