उत्तर प्रदेश

UP Nikay Chunav: निकाय चुनाव पर आरक्षण पर फैसला एक दिन और टला, 22 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई, स्टे बरकरार..

Arun Mishra
21 Dec 2022 5:04 PM IST
UP Nikay Chunav: निकाय चुनाव पर आरक्षण पर फैसला एक दिन और टला, 22 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई, स्टे बरकरार..
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निकाय चुनाव: ओबीसी आरक्षण से जुड़ी याचिका पर आज भी नहीं आया फैसला, गुरुवार को भी होगी सुनवाई.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को नियत की है। अदालत में मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई जो बुधवार को भी जारी रही, राज्य सरकार का कहना था कि मांगे गए सारे जवाब, प्रति शपथपत्र में दाखिल कर दिए गए हैं। इस पर याचियों के वकीलों ने आपत्ति करते हुए सरकार से विस्तृत जवाब मांगे जाने की गुजारिश की थी , जिसे कोर्ट ने नहीं माना। उधर, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने इस मामले को सुनवाई के बाद जल्द निस्तारित किए जाने का आग्रह किया था ।

न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह आदेश रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया।

राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। शहरी विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में कहा है कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है। इस पर सरकार ने कहा है कि पांच दिसंबर, 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है। कोर्ट ने पहले स्थानीय निकाय चुनाव की अंतिम अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक रोक लगा दी थी। साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि बीते पांच दिसंबर को जारी अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत आदेश जारी न करे।

कोर्ट ने ओबीसी को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था।

जनहित याचिकाओं में निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का उचित लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दे उठाए गए थे। याचियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत, जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण की औपचारिकता पूरी नहीं करती तब तक ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता। राज्य सरकार ने ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया।

यह भी दलील दी गई कि यह औपचारिकता पूरी किए बगैर सरकार ने गत पांच दिसंबर को अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत ड्राफ्ट आदेश जारी कर दिया। इससे यह साफ है कि राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण देने जा रही है। साथ ही सीटों का रोटेशन भी नियमानुसार किए जाने की गुजारिश की गई । याचियों ने इन कमियों को दूर करने के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने का आग्रह किया।

उधर, सरकारी वकील ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया था कि पांच दिसंबर की सरकार की अधिसूचना महज एक ड्राफ्ट आदेश है। जिस पर सरकार ने आपत्तियां मांगी हैं। ऐसे में इससे व्यथित याची व अन्य लोग इस पर अपनी आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं। इस तरह अभी यह याचिका समय पूर्व दाखिल की गई है।

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