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- बनारसियों पर चढ़ा दारू...
बनारसियों पर चढ़ा दारू का खुमार! 6 महीने में शहर में बिकी 12 सौ करोड़ रुपए की दारू
भोलेनाथ और उनके भक्तों को भांग प्रिय होती है, ऐसा कहा जाता है। मगर, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ऐसा नहीं है। जिले के आबकारी विभाग के पास भांग की बिक्री का कोटा तो सालाना लगभग दो करोड़ रुपए का ही है। मगर, शराब के प्रति लोगों का ऐसा आकर्षण है कि महज 6 महीने में इस पर 1200 करोड़ से ज्यादा रुपए लुटा दिए। आबकारी विभाग के अफसरों को उम्मीद है कि वह इस साल शराब बिक्री के निर्धारित लक्ष्य यानी 1400 करोड़ रुपए के टारगेट को आसानी से अचीव कर उससे ज्यादा का रेवेन्यू जनरेट कर ले जाएंगे। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि बीते वर्षों की अपेक्षा शराब की डिमांड बढ़ी है। डिमांड बढ़ने पर वैसी ही सप्लाई भी हो रही है।
काशी में शराब और मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए इन दिनों लगातार अभियान चल रहा है। हालांकि जिला आबकारी विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वह शराब बिक्री पर प्रतिबंध के अभियान को मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं। जिला आबकारी अधिकारी ओमवीर सिंह ने बुधवार को बताया कि सरकार ने हमें इस साल 1400 करोड़ रुपए का टारगेट दिया है। बीते 30 यितंबर तक हम टारगेट का 90 प्रतिशत अचीव कर चुके हैं। 2020 और 2021 में हमें कोविड-19 के कारण तगड़ा नुकसान हुआ था, लेकिन इस साल ऐसा लग रहा है कि हम टारगेट से आगे भी पहुंच जाएंगे।
भांग रेवेन्यू वाला आइटम नहीं है
जिला आबकारी अधिकारी ने कहा कि रेवेन्यू के दृष्टिकोण से भांग कोई खास सेगमेंट नहीं है। वह मादक पदार्थ की श्रेणी में आता है, इसलिए उसकी बिक्री का संचालन भी आबकारी विभाग द्वारा ही किया जाता है। भांग का रेवेन्यू सालाना लगभग दो करोड़ के आसपास रहता है। उसका कोटा भी सरकार द्वारा नहीं बढ़ाया गया है। बनारस में पर्यटन बढ़ा है तो उसका असर शराब और बीयर की बिक्री पर भी जबरदस्त तरीके से हुआ है।