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- वाराणसी के न्यायालय...
वाराणसी के न्यायालय में 50 वर्ष पूर्ण कर चुके अधिवक्ताओं का हुआ सम्मान...
न्यायिक अधिकारी के फैसलों से हमेशा न्याय होता है। चाहे पक्ष को मिले या विपक्ष को मिले। न्याय मिलता जरूर है। ऐसे में यह कहना उचित नहीं कि न्यायिक अधिकारी रिलीफ नही दे रहे हैं। न्यायिक अधिकारी वाद के तथ्यों, अपने ज्ञान और विवेक के आधार पर निर्णय देते हैं। उन पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का कोई दबाव नहीं रहता है। यह बातें शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने वाराणसी के बनारस और सेंट्रल बार एसोसिएशन द्वारा 50 वर्ष की वकालत पूरा कर चुके 50 वरिष्ठ अधिवक्ताओ के सम्मान समारोह और विधि ग्रंथ संग्रह दान समारोह में कहीं।
वाराणसी की सिविल कोर्ट में बैठने की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि जब परिवार का कुनबा बढ़ता है, तब उसी पुश्तैनी मकान में रहता है या क्या करता है। यह आपको सोचना होगा। स्थिति यह है कि नई कचहरी के लिए एक बार 10 करोड़ रुपए आवंटित हो गए थे। उसके बावजूद आप सभी के विरोध से काम आगे नहीं बढ़ सका। स्थिति यह है कि इमरजेंसी हालात में फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस के भी परिसर में आने में दिक्कत है। मॉडर्न चैंबर और बिल्डिंग समेत आधुनिक सुविधाओं की जरूरत है। इसके क्रियान्वयन में सहयोग करना होगा।
न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. केएलके चंदानी की स्मृति में उनके पुत्र और इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता उदय चंदानी द्वारा विधि ग्रंथ दान करने को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि खुद अधिवक्ता होने के बावजूद लाइब्रेरी की पुस्तक दान करना सराहनीय प्रयास है। न्यायाधीश ने कहा कि जिस अंदाज में आप लोगों ने मान-सम्मान और प्यार दिया है, उससे अभिभूत हूं और इसे सहेज कर रखूंगा।
समारोह की शुरुआत काशी की विद्वत परंपरा के अनुरूप वेद प्रकाश मिश्र की टीम के मंगलाचरण, मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के दीप प्रज्वलन और बनारस व सेंट्रल बार की तरफ से अतिथियों को स्मृति चिह्न और अंगवस्त्रम देकर की गई। फिर लगभग 50 वर्ष की वकालत पूरा कर चुके 50 अधिवक्ताओं को शाल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ने कहा कि कई ऐसे अधिवक्ताओं को सम्मानित कर गौरवान्वित हूं जब मेरा जन्म भी नहीं हुआ था।
समारोह में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी, न्यायमूर्ति शेखर यादव, प्रशाशनिक जज न्यायमूर्ति यूसी शर्मा, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के को-चेयरमैन श्रीनाथ त्रिपाठी, यूपी बार काउंसिल के सदस्य अरुण कुमार त्रिपाठी व हरिशंकर सिंह, सेंट्रल बार के अध्यक्ष मोहन यादव व महामंत्री अश्वनी राय, बनारस बार के अध्यक्ष पं. धीरेंद्र नाथ शर्मा, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महामंत्री सत्यवीर सिंह जादौन मंचासीन रहे। संचालन बनारस बार के महामंत्री रत्नेश्वर पांडेय ने किया। समारोह में अधिवक्ता अनुज यादव और विवेक सिंह ने मुख्य अतिथि व न्यायमूर्ति यूसी शर्मा को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। सम्मान पाने से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिभूत और गदगद दिखे। उन्होंने कहा कि वर्षों की वकालत के बाद जो सम्मान मिला है उसे शब्दो में नही व्यक्त किया जा सकता। सभी ने अतिथियों और दोनों बार एसोसिएशन का आभार जताया।