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काशी में होने जा रहा है "बैलून & बोट रेस फेस्टिवल" , 12 नौका टीमें दिखाएंगी गंगा में अपना दमखम...
वर्ष 2001 में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रतिष्ठित संगठन की स्थापना के बाद, भारत की प्राचीन पवित्र नगरी- काशी को पहली बार एससीओ की राजधानी तथा सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा दिया गया है। वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने तथा अब तक के पहले ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर ही मे उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत के ऐतिहासिक शहर के लिए सांस्कृतिक नेतृत्व की बागडोर संभाली।
पहली बार एससीओ प्रतिनिधिमंडल के दौरे के उपलक्ष्य में, बनारस में 17 से 20 जनवरी, 2023 के दौरान एक हॉट एयर बैलून तथा एक अनोखे नौका दौड़ महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है भारत का यह भरा-पूरा और हलचल से भरा आध्यात्मिक केंद्र सही मायने में बादलों के बीच मंडराते हुए बिल्कुल अनोखे हॉट एयर बैलून के समूह से इस पावन धरती का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। छह देशों के सबसे बेहतरीन गुब्वाराकारों के साथ 10 गुब्बारों की एक श्रृंखला घाटों के ऊपर से उड़ान भरेगी जहाँ मेहमान कभी न खत्म होने वाले रोमांचकारी अनुष्ठानों, काशी की स्थल सीमा तथा श्रद्धालुओं को पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हुए देख सकते हैं।
इसके बाद एक नौका दौड़ उत्सव का आयोजन भी किया जाएगा, जिसका उद्देश्य वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान- यानी इसकी प्रसिद्ध 'नौका' या नावों को दुनिया के सामने लाना है और इसे उन्नत, समकालीन यात्रियों के लिए एक अनोखे साहसिक खेल के रूप में प्रस्तुत करना है। पेशेवर नौचालकों तथा पारंपरिक नाविकों की बारह टीमें इस चार दिवसीय नौका दौड़ के दौरान गंगा की उमड़ती और गरजती लहरों के बीच नौका को पार करने के लिए प्रशिक्षण देंगी, और यह भविष्य में आने वाले यात्रियों के लिए एक ऐतिहासिक घटना बनने वाली है।
इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेने वाली स्थानीय टीमों को नाविक सेना, नौका सवार, भागीरथी सेवक, घाट रक्षक, गंगा वाहिनी, जल योद्धा, गंगा लहरी, गंगा पुत्र, काशी लहरी, गौमुख दैत्य, काशी रक्षक, और जल सेना का नाम दिया गया है। नौका दौड़ के विशेषज्ञ काशी की नई पीढ़ी के होनहार खिलाड़ियों को इस अनोखी बोट रेस लीग के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस चार दिवसीय खेल प्रतियोगिता के लिए एक नई नियम पुस्तिका बनाई गई है और यह अंक प्रणाली, यानी प्वाइंट सिस्टम पर आधारित है, जिसमें सभी टीमें प्वाइंट हासिल करने के लिए हर दिन एक-दूसरे से मुकाबला करेंगी और कुल मिलाकर सबसे ज्यादा प्वाइंट हासिल करने वाली टीम इस चैम्पियनशिप की विजेता होगी और उसे खिताब दिया जाएगा। चैंपियंस को 1.75 लाख रुपये की पुरस्कार राशि घर ले जाने का शानदार मौका दिया जा रहा है।दशाश्वमेध घाट से शुरू होकर राजघाट तक इस रेसिंग ट्रैक की कुल लंबाई 3 किलोमीटर का है। काशी की पारंपरिक नौकाएँ 15 फीट लंबी होती है जिनकी पतवार लगभग 4 फीट की होती है जिसकी कमान कप्तान के हाथों में होती है और चार अन्य नाविक इसका संचालन करते हैं, जो पानी की धाराओं के बीच से नौका को आगे ले के लिए आपसे बाते हैं। इस समारोह में हर शाम राजघाट पर नाथू लाल सोलंकी, प्रेम जोशुआ, कबीर कैफे के साथ-साथ काशी की देसी प्रतिभा सुखदेव प्रसाद मिश्रा जैसे देश-विदेश के मशहूर इंडी / लोक संगीतकार भी शामिल होंगे और आम जनता बिना किसी शुल्क के इस भावपूर्ण संगीत का आनंद ले सकते हैं। इतना ही नहीं, इस कार्यक्रम में शहर के जाने-माने फोटोग्राफरों की फोटोग्राफी प्रदर्शनी की तरह कई अन्य
गतिविधियाँ भी शामिल हैं जिनका प्रदर्शन राजघाट में किया जाएगा। इसके बाद, काशी के दिल में बसी कलात्मकता को कैनवास के जरिए दुनिया के सामने लाने के लिए कला एवं चित्रकला प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला भी आयोजित की जाएगी।
इस मौके पर आयुक्त श्री कौशल राज शर्मा ने कहा कि, काशी की इस प्राचीन नगरी को देखने का नजरिया अलग- अलग है जो बदलाव के कई अनुभवों से गुजर चुका है, जिस नए जमाने के पर्यटक के सामने प्रस्तुत करने और इसकी ब्रांडिंग करने की जरूरत है।
जिलाधिकारी एस राजलिंगम जी भी इस अवसर पर बोले कि काशी की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन और अधुभूत है और इसको नई तरह से प्रस्तुत करने की जरूरत है।