वाराणसी

वाराणसी में भाजपा का जिला पंचायत अध्यक्ष बनना तय, आखिर ऐसा क्यों?

वाराणसी में भाजपा का जिला पंचायत अध्यक्ष बनना तय, आखिर ऐसा क्यों?
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पिछले अध्यक्ष के चुनाव में सपा की ओर से अपराजिता सोनकर ने जीत हासिल की थी, मगर प्रदेश की सत्ता बदलते ही उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

वाराणसी। जिला पंचायत अध्यक्ष की नामांकन करने कि तारीख 26 जून शाम तीन बजे को समाप्त हो गई है अब वाराणसी में भाजपा का जिला पंचायत अध्यक्ष बनना तय हो गया है। हंगामा और नारेबाजी के बीच जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सपा प्रत्याशी चंदा यादव का नामांकन खारिज हो गया है। इसी के साथ भाजपा प्रत्याशी पूनम मौर्या का निर्विरोध होनातय है। जिला निर्वाचन अधिकारी / जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के अनुसार दो-दो सेट में सपा और भाजपा की प्रत्याशियों ने नामांकन किया था।


जिला निर्वाचन अधिकारी कौशल राज शर्मा के अनुसार ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद पर दो प्रत्याशियों श्रीमती चंदा यादव और श्रीमति पूनम मौर्या द्वारा 2-2 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। इनकी स्क्रूटनी दोपहर 3 बजे शुरू हुई। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के नोटरी अधिवक्ताओं की वैद्यता के बारे में लिखित आपत्ति दाखिल की। दोनों द्वारा जवाब देने के लिए 2-2 घंटे का लिखित टाइम मांगा था जो उनको दिया गया। शाम 6;30 बजे पुनः स्क्रूटनी शुरू हुई। इसमें दोनों प्रत्यशियों ने अपना-अपना पक्ष रखा।


जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुसार पूरी स्क्रूटनी के बाद भाजपा प्रत्याशी पूनम मौर्या का एक नामांकन पत्र अस्वीकृत हुआ और एक स्वीकृत हुआ। सपा प्रत्याशी चंदा यादव के दोनों नामांकन पत्र अस्वीकृत हो गए। सपा प्रत्याशी के चुनाव प्रभारी पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने आरोप लगाया कि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर नामांकन पत्रों की जांच में अंदर बैठकर चुनाव को मैनेज कर रहे थे।

सपा के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव ने कहा कि पर्चा खारिज करने के आदेश को कोर्ट में चुनौती देंगे। पर्चा खारिज करने वाले जिलाधिकारी को पार्टी बनाएंगे। पार्टी मुख्यालय से जो निर्देश मिलेगा, उसके अनुसार काम करेंगे। उन्होंने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि अधिकारी आरएसएस और भाजपा एजेंट की तरह काम कर रहे हैं।

बतादें कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर चुनाव के लिए तारीख का एलान होने के बाद से ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई थी, काशी विद्यापीठ ब्लाक से सर्वाधिक मतों से जीतने वाली पूनम मौर्या को भाजपा की ओर से अध्यक्ष पद का दावेदार बनाया गया। इससे पहले 14 मई को पूनम मौर्या भाजपा में शामिल हुई थी।

उसी समय से पूनम को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए पार्टी की ओर से प्रबल दावेदार माना जा रहा था। घोषणा के बाद क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी ने बताया कि पूनम मौर्या के चयन से पहले कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया गया था। इसके बाद क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव, प्रदेश उपाध्यक्ष सलिल विश्नोई और जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा ने जनप्रतिनिधियों से विमर्श किया। सर्वसम्मति से पूनम मौर्या के नाम पर सहमति के बाद घोषणा की गई। बीएससी, बीएड तक शिक्षा प्राप्त पूनम मौर्या के पति कुंवर वीरेंद्र भी पहले जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं।

वाराणसी में एमएलसी की दोनों सीटें हारने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जे से भाजपा को बड़ी राहत मिली है। पिछले अध्यक्ष के चुनाव में सपा की ओर से अपराजिता सोनकर ने जीत हासिल की थी, मगर प्रदेश की सत्ता बदलते ही उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।


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