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वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी केस पहुंचा इलाहाबाद हाईकोर्ट
वाराणसी अदालत के ऑर्डर 7 रूल 11 के मामले में 12 सितंबर को आए फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी शुरू हो गयी है. वाराणसी की अदालत ने ऑर्डर 7 रूल अलेविन के तहत सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया था कि यह याचिका सुनवाई योग्य है. क्योंकि इसमें मस्जिद के किसी आकार के बदलाव की नहीं बल्कि श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग की गई है. 1993 से पहले यहां नियमित दर्शन पूजन होते रहे हैं लिहाजा यह याचिका सुनवाई योग्य है.
ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी ने हाईकोर्ट मैं इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की है. अंजुमन इंतजा मियां मसाजिद कमेटी के सेक्रेटरी एस एम यासीन का कहना है की वाराणसी अदालत ने उनकी कोई बात नहीं सुनी। श्रृंगार गौरी की पूजा पाठ का मामला मस्जिद के वेरी कटिंग के बाहर का है वहां आज भी पूजा होता है और वह हिंदू पक्ष वहां पूजा करें हमें ऐतराज नहीं, हमारा एतराज मस्जिद के अंदर के पूजा-पाठ को लेकर है जो वरशिप एक्ट के खिलाफ जाता है उसका उल्लंघन है इसलिए हम इलाहाबाद हाईकोर्ट गए हैं. मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट में 18 अक्टूबर को हो सकती है इस मामले में सुनवाई
दिल्ली की राखी सिंह समेत 5 महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में पिछले साल याचिका दाखिल की थी. याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना नियमित तौर पर किए जाने की इजाजत दिए जाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की सुनवाई वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में चल रही है.
मुस्लिम पक्ष ने अदालत में आपत्ति दाखिल कर राखी सिंह समेत महिलाओं की याचिका को खारिज किए जाने की अपील की थी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया था कि ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत यह अर्जी सुनवाई के लायक नहीं है. महीनों चली सुनवाई के बाद जिला जज की कोर्ट ने अगस्त महीने में अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. जिला जज एके विश्वेश की कोर्ट ने 12 सितंबर को अपना फैसला सुनाया था.
जिला जज ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज करते हुए राखी सिंह केस को चलते रहने की इजाजत दी थी. फैसले के बाद है मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट जाने की बात कही थी. मुस्लिम पक्ष की याचिका में जिला जज के फैसले को चुनौती दी गई है.
हाईकोर्ट में दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका में एक बार फिर दोहराया गया है के 1991 के प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट के तहत इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती। अर्जी में हाईकोर्ट का फैसला आने तक वाराणसी की अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाए जाने की भी मांग की गई है. ज्ञानवापी विवाद से जुड़े पांच मामले पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग है.