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छठ का महापर्व आज से! 4 दिन चलेगा उत्सव परसों दिया जाएगा सूर्य को पहला अर्घ्य...
लोक आस्था और नेम-निष्ठा का महापर्व छठ आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है। भगवान सूर्य की उपासना का यह सबसे बड़ा पर्व चार दिनों तक चलेगा। काशी के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से होती है। दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य और फिर चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। छठ का व्रत रखने वाले संतान की प्राप्ति, संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना के लिए सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं। एक अनुमान के अनुसार, काशी के गंगा घाटों पर छठी मैया की पूजा और भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए 8 लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा वरुणा तट पर और सरोवरों के किनारे भी लोगों का हुजूम छठ पूजा के लिए उमड़ता है।
इस बार की छठ पूजा की तिथियां...
छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय 28 अक्टूबर - शुक्रवार
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर - शनिवार
छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य 30 अक्टूबर - रविवार
छठ पूजा का चौथा दिन भोर का अर्घ्य 31 अक्टूबर - सोमवार
छठी मैया की आराधना का महापर्व है छठ
भगवान सूर्य की उपासना और छठी मैया की आराधना का महापर्व छठ है। इस पर्व पर उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। प्रचलित कथाओं के अनुसार, छठी मैया भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन हैं। ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के लिए स्वयं को दो भाग में बांट दिया था। दाएं भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया।
सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आपको छह भागों में विभाजित किया था। उनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है।
उन्हें छठी मैया के नाम से जाना जाता है। शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है। इनकी उपासना करने से व्रती की संतान को अच्छा स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर बना बाधा
वाराणसी में छठ पूजा का सबसे बड़ा केंद्र गंगा के 84 से ज्यादा घाट हैं। मगर, इस बार गंगा का जलस्तर अभी भी बढ़ा हुआ है और घाटों का संपर्क एक-दूसरे से टूटा हुआ है। शुक्रवार की सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 63.80 मीटर था और प्रति घंटा एक सेंटीमीटर की दर से पानी घट रहा था।
वहीं, गंगा का पानी जैसे-जैसे कम हो रहा है, घाटों पर कीचड़, गाद और गंदगी का अंबार उभर कर सामने आ जा रहा है। इसलिए ज्यादातर लोग शहर के कुंडों-तालाबों, पोखरों, वरुणा के शास्त्री घाट और बीएलडब्ल्यू के सूर्य सरोवर के साथ ही अपने घर पर भी अर्घ्य के अनुष्ठान के लिए जगह तलाश कर साफ-सफाई का काम शुरू कर दिए हैं।
हालांकि, नगर निगम प्रशासन का दावा है कि जिन भी घाटों पर पानी कम हो गया है उन्हें हर हाल में 30 अक्टूबर की सुबह तक साफ कर लिया जाएगा। वहीं, आज स्वच्छ त्योहार महोत्सव-2022 के तहत सरकार की ओर से नामित IAS यशु रस्तोगी काशी के गंगा घाटों का निरीक्षण भी करेंगे।