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छठ का महापर्व आज! देखिए सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय...
लोक आस्था और नेम-निष्ठा का महापर्व छठ आज है। भगवान सूर्य की उपासना का यह सबसे बड़ा पर्व चार दिनों तक चलता है। काशी के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से होती है। दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन यानि आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य और फिर चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। छठ का व्रत रखने वाले संतान की प्राप्ति, संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना के लिए सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं। एक अनुमान के अनुसार, काशी के गंगा घाटों पर छठी मैया की पूजा और भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए 8 लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा वरुणा तट पर और सरोवरों के किनारे भी लोगों का हुजूम छठ पूजा के लिए उमड़ता है।
खास होता है छठ पूजा का तीसरा दिन
छठ महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है। ये छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है। इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। वहीं पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है। इस दिन जैसे ही सूर्यास्त होता है परिवार के सभी लोग किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।
छठ पूजा 2022 संध्या अर्घ्य
छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने का खास महत्व होता है। संध्या अर्घ्य 30 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 34 मिनट पर दिया जाएगा। इसके बाद अगले दिन 31 अक्तूबर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा। इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ रहेगा।
वाराणसी में इन जगहों पर होता है आयोजन
काशी में छठ बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है गंगा किनारे सभी घाट मिनी बिहार में तब्दील हो जाते हैं। 2 दिन पहले से ही लोगों ने घाटों पर पूजा के लिए स्थान बनाकर अपना अपना स्थान घेर लिया है। इसके अलावा वाराणसी में बरेका स्थित सूर्य सरोवर, वरुणा पुल स्थित वरुणा घाट सहित अन्य जगह छठ पूजा के कार्यक्रम होते हैं। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट चाक-चौबंद है।