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रंगभरी एकादशी पर्व! "गौरा सदनिका" से निकलकर काशीवासियों के संग महादेव खेलेंगे होली....
सात वार और नौ त्यौहार वाली काशी में इन दोनों फागुन की बहार है। काशीपुराधिपति और काशी के मालिक महादेव ब्याह के बाद अपने गौना के लिए तैयार है। इस वर्ष रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi Kashi) का पर्व बुधवार 20 मार्च को है। 360 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में भगवान शिव और माता पार्वती को अब नया मायका मिला है। जिसे "गौरा सदनिका" के नाम से जाना जाएगा गौरा सदनिका वाराणसी के गौदौलिया में टेढ़ी नीम के पास स्थित है।
क्या है रंगभरी एकादशी...
रंगभरी एकादशी का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती ब्याह के बाद पहली बार काशी भ्रमण पर आए रहें। काशीवासियों ने महादेव और माता पार्वती का स्वागत फूलों और रंगों से किया। तभी से यह मान्यता चली आ रही है और इस दिन को रंगभरी एकादशी पर्व के रूप में मनाया जाता है। काशी में इस परंपरा का निर्वहन मंदिर का महंत परिवार करता है। वर्तमान महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी की देखरेख में यह पूरी परंपरा निभाई जा रही है। रंगभरी एकादशी के दिन संपूर्ण काशी में होली खेली जाती है और इसी दिन को होली का आधिकारिक शुरुआत भी माना जाता है।
पहले और अब में अंतर...
गौर सदनिका में रंगभरी एकादशी पर्व पर आयोजित होने वाले "शिवांजलि" के संयोजक संजीव भानु मिश्र ने बताया कि पहले हम लोग बाबा विश्वनाथ मंदिर के पास रहते रहे और बाबा का गौना घर से निकल कर तुरंत मंदिर पहुंच जाता रहा। लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बन जाने के बाद जिसमें बाबा का मायका भी चला गया उसके बाद यह परंपरा टेढ़ी नीम स्थित "गौरा सदनिका" से निभाई जा रही है। इससे अब बाबा की पालकी काशी के गलियों से होते हुए तब मंदिर में प्रवेश करती है। जिससे बाबा के भक्त उनके साथ भव्यता से होली मनाते हैं। अबीर- गुलाल, माला- फूल की बौछार चारों तरफ से होती है। उन्होंने कहा कि हम सब बाबा विश्वनाथ के बच्चे हैं उनके आशीर्वाद से यह परंपरा चल रही है। रंगभरी एकादशी का पर्व 20 मार्च बुधवार को है हम सभी का स्वागत करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि काशी की परंपरा को यूं ही अनवरत तरीके से जारी रखा जाएगा।
मंदिर प्रशासन ने पूरी कर ली है तैयारी.....
रंगभरी एकादशी के पर्व पर काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर में श्रद्धालुओं को चारों गेट से प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर में चारों तरफ भारी बीआर्केडिंग की जा रही है। इस बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि रंगभरी एकादशी पर्व के लिए मंदिर प्रशासन अपनी ओर से पूरी तैयारी कर ली है। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा मंदिर चौक परिसर में। सभी श्रद्धालुओं को व्यवस्थित तरीके से दर्शन दिया जाएगा पालकी की जो परंपरा चली आ रही है वही परंपरा जारी रहेगी। उसमें किसी भी प्रकार की कोई अन्य नई चीज नहीं जोड़ी जाएगी। हम सभी श्रद्धालुओं से अपील करते हैं कि वह श्रद्धापूर्वक और आनंद के साथ रंगभरी एकादशी का पर्व मनाए।