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काशी में होगा "म्यूजिक थेरेपी" से डिप्रेशन का इलाज! काशी विद्यापीठ में तैयार हुआ सेंटर...
देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में नए साल पर अब संगीत से मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा। इसकी शुरुआत होने जा रही है महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में। जहां पर देश का पहला म्यूजिक थेरेपी लैब तैयार किया गया है। यह लैब समाज विज्ञान संकाय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा तैयार किया गया है। यह लैब वर्ष 2023 से काम करना शुरू कर देगा। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर ए.के त्यागी के प्रयासों से यह सेंटर तैयार हुआ है।
इस सेंटर के बारे में जब हमने मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर और इस सेंटर के इंचार्ज दुर्गेश कुमार उपाध्याय से बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि सेंटर के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। म्यूजिक थेरेपी से जुड़े सभी इंस्ट्रूमेंट यहां आ चुके हैं। फिनिशिंग का काम पूरा होते ही नए वर्ष से यहां पर इलाज की शुरुआत हो जाएगी। प्रोफेसर उपाध्याय ने बताया कि यह सेंटर अपने आप में ही देश का पहला ऐसा सेंटर होगा जहां पर म्यूजिक थेरेपी से लोगों का साइकोलॉजिकल इलाज किया जाएगा। हम इसके लिए कई वर्षों से प्रयासरत थे। वर्तमान में हमारे कुलपति प्रोफेसर एसके त्यागी ए.के त्यागी के अथक प्रयासों और मार्गदर्शन में यह सेंटर हम लोगों ने तैयार किया है।
इस लैब को बनाने में कुल लागत 10 लाख 40 हज़ार आया है। इस रकम में उत्तर प्रदेश शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन दोनों का सहयोग है। इस लैब में एक्टिव म्यूजिक थेरैपी के अलावा रिसप्टिव म्यूजिक थेरैपी रूम भी बनाया गया है। म्यूजिक थेरेपी के बारे में बताते हुए प्रोफेसर उपाध्याय ने बताया कि म्यूजिक थेरेपी साइकोलॉजी में एक ऐसा विधि है। जिसके जरिए हम मरीज के मानसिक और शारीरिक दोनों रोगों का इलाज कर सकते हैं। यह थेरेपी अवसाद से ग्रसित मरीजों के लिए बहुत ही असरदार होता है। खास तौर पर जो वर्तमान में नई उम्र के छात्र-छात्राएं जो अक्सर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं वह भी यहां आकर अपना इलाज करा सकेंगे। ताकि उन्हें भविष्य के लिए कोई तकलीफ ना उठानी पड़े। प्रोफ़ेसर उपाध्याय ने बताया कि यहां पर मरीजों को थेरेपी के साथ-साथ दवाइयां भी उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेंटर के बन जाने से ना सिर्फ पूर्वांचल बल्कि देशभर के मरीजों को इसका फायदा पहुंचेगा।