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- डॉ जंगबहादुर की मौत से...
डॉ जंगबहादुर की मौत से पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में मचा हडकम्प, जब सभी PHC और CHC के चिकित्सा प्रभारियोंं ने दे दिया सामूहिक इस्तीफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस के चिकित्सा विभाग में हड़कम्प मच गया है। बनारस में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक और सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों के सभी प्रभारियों ने सामूहिक रूप से मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इन सब ने कलक्टर और एसडीएम पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है।
इससे पहले एक और यह घटना हुई कि कोरोना योद्धा और जिले के एडिशनल सीएमओ डॉ. जंगबहादुर की मंगलवार देर रात बीएचयू के कोविड हॉस्पिटल में मृत्यु हो गयी। डॉ. जंगबहादुर को कोरोना पॉज़िटिव आने पर गैलेक्सी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था, जहां दो दिन पहले लिया गया उनका सैम्पल निगेटिव आया था, लेकिन दोबारा की गयी जांच में देर रात उनकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी और उन्हें गंभीर अवस्था में गैलेक्सी से बीएचयू में आईसीयू में शिफ्ट किया गया था, जहां उनकी मौत हो गयी।
जिले की सभी पीएचसी और सीएचसी के प्रभारियों ने सीएमओ को सौंपे अपने सामूहिक इस्तीफे में डॉ. जंगबहादुर की मौत का जिम्मेदार भी प्रशासन को ठहराया है। पत्र में चिकित्सकों ने लिखा है कि 9 अगस्त को सहायक नोडल/डिप्टी कलक्टर ने सभी चिकित्सा अधिकारियों को मुकदमे की धमकी देकर उन पर मानसिक दबाव बनाया था। इसके अलावा उन्होंने लिखा है कि खुद सीएमओ ने 23 जुलाई को सभी अधिकारियों को लिखे एक पत्र में कोरोना से हुई मौत का उन्हें जिम्मेदार ठहराते हुए जवाब मांगा गया था।
इसी संदर्भ में सभी चिकित्सा अधिकारियों ने सवाल उठाया है कि ऐसे में डॉ. जंगबहादुर की मौत का जिम्मेदार कौन होगा, क्योंकि प्रशासन द्वारा उन्हें भी बरखास्त करने की धमकी दी गयी थी जिसका उन्हें सदमा लगा और उनकी मौत हो गयी। कुल 28 चिकित्सा अधिकारियों ने मानसिक दबाव में इस्तीफा देने की बात स्वीकारी है और लिखा है कि वे सीएमओ के आदेश से अपना चिकित्सकीय काम जारी रखेंगे।
एक खबर यह भी आ रही है कि बीएचयू की मॉर्चरी से डिप्टी सीएमओ के परिजनों को उनका शव देने में कुछ हेर फेर और लापवरवाही बरती गयी थी। उसकी पूरी कहानी इस प्रकार है ....
बीएचयू में ACMO के शव के साथ भी लापरवाही, बदल दिया शव, परिवार ने किसी और की अत्येष्टि की
बीएचयू में लापरवाहियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बुधवार को फिर एक बार बड़ी लापरवाही सामने आई है। कोरोना मरीजों की सेवा में लगे एसीएमओ की मौत के बाद उनके शव के साथ भी लापरवाही बरती गई। उनके परिवार को किसी और व्यक्ति का शव दे दिया गया। परिवार वालों ने उस शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार एसीएमओ के परिवार ने किया वह बनारस में ही तैनात फूड विजिलेंस इंस्पेक्टर के पिता थे। लापरवाही से नाराज इंस्पेक्टर ने बीएचयू पर इलाज में भी लापरवाही का आरोप लगाया है। बीएचयू के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराने की तैयारी हो रही है।
बीएचयू अस्पताल में पिछले कई दिनों से लगातार कोरोना से मौतें हो रही हैं। पिछले 24 घंटे में चार लोगों की मौत हो गई थी। इसमें फूड विजिलेंस इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव के पिता केशव चंद्र श्रीवास्तव और एसीएमओ जंगबहादुर भी शामिल थे। एसीएमओ की मौत की जानकारी मिलते ही परिवार वाले सुबह दस बजे शव लेने बीएचयू पहुंचे। एसीएमओ के परिवार को विजिलेंस इंस्पेक्टर के पिता का शव दे दिया गया।
दोपहर 12 बजे विजिलेंस इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव अपने पिता केशव चन्द्र का शव लेने पहुंचे। पिता का शव देखकर उन्हें कुछ शक हुआ। उन्होंने चेहरा खोलकर दिखाने को कहा। चेहरा देखा तो होश उड़ गए। शव किसी और का था। इसे लेकर हंगामा शुरू हो गया।
वहां तैनात कर्मचारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ। तत्काल एसीएमओ के परिवार से संपर्क किया गया। पिता का शव अंतिम बार देखने के लिए इंस्पेक्टर के परिवार वाले भागते हुए हरिश्चंद्र घाट पहुंचे। तब तक एसीएमओ के परिवार ने इंस्पेक्टर के पिता के ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया था। शव भी लगभग जल चुका था। इधर, एसीएमओ का शव भी हरिश्चंद्र घाट भेजा गया। परिवार के लोगों ने अब चिता की जगह विद्युत शवदाह गृह में ही उनका अंतिम संस्कार किया।
फूड इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव ने शव सौंपने से पहले पिता के इलाज में भी लापरवाही का बीएचयू पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीएचयू की लारवाही से ही पिता की मौत हुई है। उन्होंने लंका थाने में बीएचयू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की बात कही। लंका इंस्पेक्टर के अनुसार फिलहाल फोन पर शव बदलने के बाबत सूचना मिली है। कोई लिखित शिकायत नहीं की गई है।