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तेज बहादुर यादव के खिलाफ FIR दर्ज, जानें- पूरा मामला
वाराणसी से लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर के खिलाफ FIR (एफआईआर) दर्ज हो गया है. जब से तेज बहादुर ने चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. तब से लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. तेज बहादुर की राजनीतिक पारी भी काफी दिलचस्प है. पहले उन्होंने निर्दलीय से पर्चा भरा था. इसके कुछ दिनों बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना समर्थन दे दिया. समाजवादी पार्टी से तेज बहादुर ने वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकण भरा था. लेकिन चुनाव आयोग ने उनके नामंकण रद्द कर दिया. अब उनके ऊपर वाराणसी के कैंट थाने में आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज हो गया.
जिस दिन उनका पर्चा खारिज हुआ था. उसी दिन उनके साथियों ने कचहरी परिसर में डीएम पोर्टिको के नीचे धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की थी. इसके बाद स्थानीय वकील ने लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि धारा 144 लागू है और यह काम आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है. वकील की शिकायत के बाद प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया. कैंट थाने में जो तहरीर दी गई थी. अब वह एफआईआर में बदल गई. वहीं बताया जाता है कि एफआईआर में धारा 144 के उल्लंघन के अलावा दूसरी अन्य धाराएं भी लगाई गई हैं.
इस मामले में तेज बहादुर ने कहा कि चुनाव आयोग और प्रशासन मेरे खिलाफ साजिश रच रहा है. पहले मेरा नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया. अब मुझपर एफआईआर दर्ज कर दिया गया. इससे मैं लड़ाई से बाहर हो गया. अब मैं गठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव का प्रचार शुरू कर दिया तो मेरे मिशन को फेल करने के लिए प्रशासन ने बीजेपी के इशारे पर मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया. बीजेपी जानती है कि असली चौकीदार कहीं नकली को टक्कर न दे दे.
चुनाव आयोग के रची साजिश
वहीं तेज बहादुर यादव ने दावा किया है कि नामांकन पत्र खारिज होने के बाद उन्होंने चुनाव अधिकारियों को आवश्यक दस्तावेज सौंपे थे. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा था, "मैंने बीएसएफ में रहते हुए उसी बारे में आवाज बुलंद की. जिसे मैंने गलत पाया. मैंने न्याय की उस आवाज को बुलंद करने के लिए वाराणसी आने का फैसला किया था. अगर मेरे नामांकन में कोई समस्या थी तो एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दाखिल करने (मेरे कागजात) के समय उन्होंने मुझे इस बारे में क्यों नहीं बताया गया.