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"सुबह- ए- बनारस" का स्थापना दिवस आज! मालिनी अवस्थी ने कहा - काशी में हो रहा है उत्तर और दक्षिण का अद्भुत मिलाप...
वाराणसी के अस्सी घाट पर सुबह ए बनारस मंच का आज 9वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री मालिनी अवस्थी पहुंची। सुबह ए बनारस द्वारा होने वाले दैनिक सुबह आरती में पद्मश्री मालिनी अवस्थी सम्मिलित होते हुए उसके उपरांत उन्होंने महायज्ञ में शामिल होकर यज्ञ किया एवं सुबह ए बनारस के सांस्कृतिक मंच पर उन्होंने अपनी मधुर प्रस्तुति दी। अपनी मधुर प्रस्तुति से वहां मौजूद दर्शकों का उन्होंने मन मोह लिया।
उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है। महादेव की नगरी ऊपर से गंगा जी का किनारा अस्सी घाट पर यह पूज्य मंच जहां पर जहां अनवरत संगीत की सेवा हो रही है। जहां पर गंगा जी के आरती के बाद विश्व कल्याण के लिए यज्ञ के बाद स्वर्ग की प्रणामी दी जाती है। आज मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। मुझे यहां नवमी वर्षगांठ पर बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि अपने घर में बुलाया नहीं जाता आज मेरा अवसर आया उन्होंने कहा कि इतने अच्छे और इतने विद्वान आज यहां पर मेरे सामने बैठ कर सुन रहे थे। यह एक कलाकार के लिए सौभाग्य की बात होती है। उन्होंने कहा कि आज मैं यहां बैठे बैठे अपने गुरु का स्मरण कर रही थी। उन्होंने कहा कि काशी से कोई व्यक्ति आए और उसे काशी का भोर देखना हो तो वह सुबह ए बनारस मंच पर आए 5:30 बजे यहां आकर धूमि रवा ले। यहां जो होता है वह अद्भुत है। जब यहां दो ढाई घंटा बिताकर सवेरे निकलते हैं तो आपको लगता है कि भारतीय संस्कृति में जो अग्नि को प्रणाम ऊर्जा को नमन गंगा को नमन और विश्व कल्याण के लिए सामूहिक यज्ञ की आहुति वास्तव में कैसे हमारे पूर्वज करते थे। यह यही देख कर अनुभूत किया जा सकता है। यहां आकर आत्मा को तृप्ति मिलती है।
बनारस में आयोजित काशी तमिल संगमम के लिए पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की परिकल्पना है। इसी के तहत वाराणसी में इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। माननीय प्रधानमंत्री जी की सोच हमेशा से भारत किस प्रकार से एक हो सांस्कृतिक रूप से एक है लेकिन उन लोगों को दिखे भी इसकी इतनी सुंदर क्योंकि काशी और कांची यदि आप देखें तो जैसे काशी सांस्कृतिक राजधानी वैसे कांचीपुरम भी हमारे दक्षिण भारत के पूरे सांस्कृतिक तमिल और उत्तर भारत के संगम कैसे हमारे इष्ट एक हैं। कैसे हमारी पूजा पद्धति हमारा आचार विचार और जीवन दर्शाने के साथ साथ दिखाई भी दे यह उसकी बहुत सुंदर परिकल्पना है।