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ज्ञानवापी मामले में हुई सुनवाई! कोर्ट की टिप्पणी "इस मुकदमें को लग्जरियस सूट की तरह नहीं चलाया जा सकता"...
ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में आज हुई। आज ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कमीशन की कार्रवाई आगे बढ़ाने की मांग पर सुनवाई हुई। इससे पहले बीती 21 अक्टूबर को कोर्ट ने मां श्रृंगार गौरी केस में पार्टी बनने के लिए दी गई सभी एप्लिकेशन को खारिज कर दिया था। इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए वादी हिंदू पक्ष की मांग पर कोर्ट ने सुनवाई की थी। वादी पक्ष की मांग पर प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के एडवोकेट के द्वारा आपत्ति न दाखिल करके समय मांगा गया था। इस पर कोर्ट ने 100 रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके साथ ही केस की सुनवाई की अगली डेट 2 नवंबर फिक्स कर दी थी।
आज यह हुआ कोर्ट में
वाराणसी के ज्ञान वापी श्रृंगार गौरी दर्शन पूजन मामले में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में आज की सुनवाई पूरी करते हुए अगली तारीख 11 नवंबर की मुकर्रर की है। आज की अदालती कार्रवाई के बारे में बताते हुए वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि वादी पक्ष द्वारा 82 ग के तहत जो कमीशन की कार्यवाही आगे बढ़ाने की बात अदालत में कही गई है उस पर प्रतिवादी अंजुमन इंतजाम या कमेटी ने अपनी अपत्ति कोर्ट में दाखिल कर दी है। जिस पर अदालत ने वादी पक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए 11 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है इस तिथि पर वादी पक्ष प्रतिवादी पक्ष की आपत्ति पर अपना जवाब दाखिल कर देगा। प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता रईस अहमद ने कहा कि हमने अदालत की मांग के अनुसार अपनी आपत्ति दाखिल कर दी है अब इस पर वादी पक्ष जो जवाब देगा उसका उत्तर दिया जाएगा।
आज जिला जज ने कोर्ट में विशेष टिप्पणी की है "उन्होंने कहा है कि आगे से इस मुकदमे में 1 हफ्ते से ज्यादा की अवधि की तारीख अब नहीं दी जाएगी"। मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में चल रहा है। इसके अलावा उन्होंने सभी पक्षों से कहा है कि इस मुकदमे को लग्जरियस सूट की तरह नहीं चलने देंगे। अदालत का समय कीमती है कृपया उसका सही उपयोग करें।
एक साल पहले दाखिल हुआ था केस
अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था।
पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो। कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और 3 दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था।
इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने आदेश दिया कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है।