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काशी में माता अन्नपूर्णा का 40 कुंटल धान की बालियों से हुआ अद्भुत श्रृंगार!
वाराणसी के काशी अन्नपूर्णा मंदिर में माता अन्नपूर्णा की आज धान की बाली से भव्य श्रृंगार किया गया है। इसी के साथ सत्रह दिवसीय व्रत का समापन हुआ है। ये व्रत पिछले 13 नवंबर से शुरू हुआ था। आज इस व्रत के समापन के अवसर पर अन्नपूर्णा मंदिर के पूरे परिसर को 40 कुंटल से अधिक धान की बालियों से सजाया गया है। इस अवसर पर श्रद्धालु 21, 51,101 और 501 परिक्रमा कर अपने मन्नतों के पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
शिव की नगरी काशी के बारे में कहा जाता है इस शहर में कभी कोई भूखा सोता। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि यहां पर जहां एक तरफ बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ माता अन्नपूर्णा बाबा के भक्तों का पेट भरने के लिए काशी में ही वास कर रही हैं। इसीलिए काशी के आसपास के किसान प्रत्येक वर्ष अपने धान की पहली फसल माता अन्नपूर्णा को अर्पित करते हैं। हर वर्ष यह उत्सव 17 दिन का चलता है।
मंदिर के उप महंत रवि शंकर पाण्डेय ने बताया की यह परंपरा आदि काल से चली आ रही है। किसानों के खेत की पहली फसल होते ही पूर्वांचल के किसान मां के दरबार में धान अर्पित करते हैं। मान्यता यह है कि इससे खेती में किसी प्रकार की समस्या नहीं आती और महाव्रत से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। धान के एक बाल को रखने से धन, धान्य दोनों भरा रहता है।