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- काशी बनी कन्हैया की...
काशी बनी कन्हैया की गोकुल! विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया लीला संपन्न...
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी आज शाम कुछ देर के लिए द्वापर युग के गोकुल में तब्दील हो गई और गंगा यमुना बन गईं। तुलसी घाट पर नटखट कन्हैया अपने दोस्तों के साथ कंदुक क्रीड़ा (गेंद खेलते हुए) करते नजर आए। अचानक गेंद यमुना बनी गंगा में समा गई। ठीक 4:40 बजे कन्हैया कदंब की डाल से नदी में छलांग लगा दिए।
कन्हैया को देखने के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम चिंतित हुआ। उसी बीच कालिया नाग का घमंड चूर कर नंदलाला उसके फन पर सवार होकर बांसुरी बजाते नजर आए। श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण की आरती उतारी।
जिस कालिया नाग के चलते मथुरा वासियों में भय व्याप्त हो गया था और जिस कालिया नाग के चलते मथुरा में बहने वाली नदी का जल काला हो गया था। उसी कालिया नाग का भगवान मधुसूदन ने अपनी बाल लील के माध्यम से मान मर्दन किया और मथुरा वासियों के साथ साथ यमुना में रहने वाले जीवों को कालिया नाग के भय से मुक्त करते हुए अभय प्रदान किया। इसी लीला का मंचन तुलसी घाट पर बुधवार को काशी की विश्वविख्यात नाग नथैया लीला में हुआ। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला देखने के भक्त दोपहर से ही घाटों की सीढि़यों पर जमे रहे।
चौपाई पाठ से शुरू हुई लीला
तीन बजे से नाग नथैया की लीला का प्रारंभ हुआ जिसमें सबसे पहले घाट पर बनी व्यास चौकी व्यास लोगों ने भगवान की चौपाई शुरू की। भगवान कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा व अन्य मित्रों के साथ यमुना के किनारे गेंद खेल रहे थे। खेलते वक्त गेंद यमुना के जल में चली गई। भगवान के गेंद लाने के लिए युमना में जाने की बात अपने मित्रों से कही। इस पर सुदामा ने कन्हैया को बताया कि यमुना कालिया नाग रहता है जो बड़ा ही भयानक है और उसके भय से नदी में रहने वाले जलचर व पूरे मथुरावासी नदी के जल में प्रवेश नहीं करते हैं। भगवान कृष्ण ने दोस्तों के मना करने के बावजूद गेंद लाने के लिए यमुना में छलांग लगा दी। भगवान के यमुना में छलांग लगाने के साथ ही घाट पर मौजूद लाली प्रेमियों ने दोनों हाथ उठाकर हर हर महादेव का जयघोष किया। जल में कालिया नाग से भगवान का युद्ध हुआ। उसे हराने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कालिया नाग के पीठ पर खड़े होकर बंशी बजाते हुए जल से बाहर निकले। इस अद्भुत लीला को देखकर घाट पर मौजूद सभी श्रद्धालु भाव विभोर हो गए ।
काशी राज परिवार के सदस्य कुंवर अनन्त नारायण सिंह हुए शामिल
काशी की पारंपरिक नाग नथैया लीला में कुवंर अनन्त नारायण सिंह भी शामिल हुए। शाम को 4.30 बजे अपनी नाव से तुलसी घाट पर पहुंचे और नाग नथैया लीला को देखा।