वाराणसी

सोमवार पर श्री काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक का पेंच सुलझा, 1932 से चली आ रही है परंपरा

सोमवार पर श्री काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक का पेंच सुलझा, 1932 से चली आ रही है परंपरा
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वाराणसी। सावन के पहले सोमवार पर श्री काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक का पेंच सुलझ गया है। शुक्रवार को जलाभिषेक को लेकर चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति ओर प्रशासन के बीच बातचीत के बाद अपने पारंपरिक रूट से 11 यादवबंधु हर साल की तरह बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे।


एसपी सिटी कार्यालय में चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति और प्रशासन के अधिकारियों ने पहले सोमवार को होने वाले पारंपरिक जलाभिषेक को लेकर बैठक की। पहले सोमवार को बाबा विश्वनाथ सहित नौ शिवालयों पर यादवबंधुओं द्वारा होने वाले जलाभिषेक को लेकर चर्चा हुई। समिति के अध्यक्ष लालजी यादव के अनुसार सहमति बनी कि प्रतीक चिन्ह पीतल के ध्वज और डमरू सहित 11 लोग परंपरा का निर्वहन करेंगे।

लालजी यादव ने बताया कि जलाभिषेक की परंपरा 1932 में अकाल के बाद शुरू हुई थी। देश में अकाल के कारण पशु-पक्षी भी जल के बिना मर रहे थे। तब बनारस के यादव समाज के भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक किया। जलाभिषेक के बाद ही जोरदार बारिश शुरू हो गई थी। तभी से जलाभिषेक की आस्था बढ़ती गई। वर्तमान में जलाभिषेक का नेतृत्व भोला सरदार के बेटे लालजी यादव कर रहे हैं। लालाजी समिति के अध्यक्ष भी हैं।


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