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मुख्तार अंसारी को 26 साल पुराने केस में एमपी एमएलए कोर्ट से साढ़े पांच साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना
वाराणसी। कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा की हत्या के गवाह महावीर प्रसाद रुंगटा को धमकाने के मामले में आज कोर्ट में सुनवाई होनी है। जिस पर आज फैसला आने की उम्मीद है। इस मामले में पिछली सुनवाई पांच दिसंबर को हुई थी। जिसमें अभियोजन तथा बचाव पक्ष की बहस पूरी होने के बाद अपर सिविल जज सीनियर डिवीज़न (प्रथम) व एमपी-एमएलए कोर्ट के पीठासीन अधिकारी उज्जवल उपाध्याय ने फैसले के लिए 15 दिसंबर की तारीख निर्धारित की थी।
26 वर्ष पुराना है मुकदमा
प्रकरण के मुताबिक, भेलूपुर थाना क्षेत्र के जवाहर नगर के रहने वाले कोयला व्यवसायी नाद किशोर रुंगटा की 22 जनवरी 1997 को अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की गाज मुख़्तार अंसारी व उसके गुर्गे अताउर रहमान उर्फ़ सिकंदर पर गिरी थी। इसके बाद पांच नवंबर 1997 की शाम नंद किशोर रुंगटा के भाई महावीर प्रसाद रुंगटा के लैंडलाइन पर धमकी दी गई कि अपहरण कांड में पुलिस अथवा सीबीआई में पैरवी न करें। नहीं तो पूरे परिवार को बम से उड़ा दिया जाएगा। इस संबंध में भेलूपुर थाने में एक दिसंबर को मुकदमा दर्ज कराया गया था।
वाराणसी में विशेष न्यायाधीश एमपी MLA/सिविल जज (सीनियर डिविजन) उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा के अपहरण के बाद परिवार को धमकी देने के मामले में आरोपी पूर्व माफिया विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. इस मामले में पिछली तारीख पर बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने 15 दिसंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसकी आज सुनवाई करते हुए सजा का ऐलान कर दिया। मुख्तार अंसारी को एमपी एमएलए कोर्ट से साढ़े पांच साल की सजा और 10 हजार जुर्माना लगाया गया है।
बता दें कि कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा की किडनैपिंग के बाद उसके परिजनों को बम से उड़ने की धमकी दी गई थी. इसके बाद महावीर प्रसाद रूंगटा ने भेलूपुर थाने में 5 नवंबर 1997 को बम से उड़ने की धमकी के मामले में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने विवेचना के बाद धमकी के मामले में मुख्तार के खिलाफ उसी समय आरोप पत्र दाखिल किया था.
बता दें कि 22 जनवरी 1997 को वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र में स्थित जवाहर नगर कॉलोनी में रहने वाले नंदकिशोर के दफ्तर पर मुख्तार का साला अताउर रहमान बाबू हजारीबाग का कोयला कारोबारी विजय बनकर पहुंचा. अताउर ने नंदकिशोर रुंगटा को इस बहाने से अपनी कार में बैठा लिया कि कोयले के कारोबार से जुड़े दस्तावेज दिखाने हैं. कहा गया कि अताउर ने इसके बाद नंदकिशोर रूंगटा को चाय में नशीली दवा पिलाकर अपहरण कर लिया.
मुख्तार ने रूंगटा के परिवार को फिरौती के लिए कॉल की और एवज में 5 करोड़ की फिरौती मांगी. परिवार ने यह रकम मुख्तार अंसारी को पहुंचा दी थी इसके बावजूद मुख्तार अंसारी ने नंदकिशोर को नही छोड़ा और उनकी हत्या कर दी. नंद किशोर रूंगटा की लाश आज तक नही मिली.
सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी के अलावा दो अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया जिसमें उसका शार्प शूटर और करीबी रिश्तेदार अताउर रहमान बाबू और दूसरा शाहबुद्दीन था. ये दोनों ही आरोपी 26 साल बाद भी सीबीआई की पकड़ में नहीं आ सके हैं और मौजूदा समय में सीबीआई की तरफ से 2 लाख का इनाम घोषित है.