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- जो बनारस में वो...
जो बनारस में वो केदारनाथ में फिर बनारस छोड़ केदारनाथ में क्यों? खतरा कहाँ!
जो बनारस में वो ही केदारनाथ में है तो फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस छोड़ केदारनाथ में क्यों? यह सवाल अब हार आम आदमी के जेहन में कौंधता नजर आ रहा है. लोग एक दुसरे से यह पूंछते भी नजर आ रहे है, आखिर क्यों हुआ ऐसा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सत्ता लोलुपता अब किसी से छिपी हुई नहीं है. मोदी सत्ता हासिल करने के लिए और अपने को चमकाने के लिए कुछ भी कर सकते है. जब इस बात को आप समझने में जो देर कर रहे है उससे आपका ही नुकसान हो रहा है. तभी मुक्ति नगरी में सत्ता का मोह बुरी तरह जकड़ चुका है. काशी को बाबा विश्वनाथ का दरवार और मुक्ति धाम की संज्ञा दी जाती है. जबकि यहाँ आने वाले की काशी वासी बड़ी ही संदिग्ध नजर से देखते है.
काशी में अगर कोई भी व्यक्ति जो वहां का बाशिंदा है उसके साथ जब कोई अनैतिक कार्य जैसे किसी के साथ कोई धोखाधड़ी या गडबडी होती है या किसी से वादा खिलाफी होती है तो एक कहावत आज भी चरित्रार्थ है कि का वे गुजराती हो. मतलब क्या गुजरात के रहने वाले हो. अब इस कहावत का क्या मतलब निकाला जाय समझ में नहीं आ रहा है.
लेकिन पीएम मोदी का केदारनाथ में सन्यासी भाव एक बार साफ़ नजर आ रहा है. जैसे अब मोदी जी देश नहीं फिल्म चला रहे हो. सब कुछ पर्दे पर ही होना चाहिए. हकीकत का जामा कब पहनाएंगे. खैर चलो अभी तो मतगणना बाकी है उसके बाद नये सवालात पार बात होगी अभी तो तीन दिन संदेह के घेरे में है.
बनारस में गंगा पर जब सियासत हो रही है. तो केदारनाथ में शिव की जटा से निकली गंगा छोड़ सत्ता की लाल क़ालीन पर किस तरह की तपस्या हो रही है. और जो तपस्या हो रही है वो सभी न्यूज चैनल पर लाइव हो रही है धन्य है हमारा टीवी चैनल और हमारे पीएम मोदी जो चमकने के चक्कर में सब कुछ गडबडा गये है. लोग जान चुके है कि देश की बात सिर्फ टीवी पर दिखती है चुनाव बाद चार साल अब कोई बात नहीं होगी.
लेकिन इंतजार किजिए बनारस ही देश को मुक्ति दिलायेगा. यहीं से सबको मुक्ति मिलती है चिंता मत करिए आपको भी और देश को बाबा विश्वनाथ जरुर मुक्ति दिलाएंगे जो भी गलत करेगा उसे बाबा केदारनाथ सजा जरुर देंगे. तो चलो बाबा के धाम बनेगे आपके बिगड़े सभी काम!