- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- वाराणसी
- /
- प्राकृतिक चिकित्सा का...
प्राकृतिक चिकित्सा का प्रदुर्भाव प्रकृति के साथ ही हुआ है - आनंदीबेन पटेल
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित गांधी अध्ययनपीठ के सभागार में अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का "भारतीय ज्ञान परम्परा एवं प्राकृतिक चिकित्सा का गांधीवादी मार्ग" विषय पर 40वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद एवं योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा केन्द्र महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संयुक्त तत्ववधान में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसका उल्लेख हमारे वेदों और पुराणों में मिलता है। इसका प्रदुर्भाव प्रकृति के साथ ही हुआ है। यह रोगों के निदान का संसाधन मात्र नहीं बल्कि एक जीवन दर्शन है। भारतीय चिकित्सा पद्धति का प्रभाव कोविड के दौरान देखने को मिला। जहां दवाइयों का असर नहीं हो रहा था, वहीं जड़ी बूटी और योग ने जीवन रक्षा में अमूल्य योगदान दिया। गांधी जी को आधुनिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक चिकित्सा का प्रथम चिकित्सक माना गया है। हमने अपने परंपरागत भोजन परम्परा को त्याग कर जंक फूड लेना शुरू किया उसका दुष्परिणाम आज सामने है।
अध्यक्ष अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद प्रो०शंकर कुमार सान्याल ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पूर्णतः वैदिक विज्ञान पर आधारित है, जो प्रकृति के पंचभुतों पर आधारित है जिसमे किसी प्रकार का जोखिम नहीं है। पर्यावरण प्रदूषण के इस दौर में प्रकृतिक चिकित्सा पद्धति बहुत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो ए के त्यागी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा अद्भुत है जिसको सही स्वरूप में प्रस्तुत करने की आवश्यक्ता है। प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा उसी ज्ञान परम्परा का एक महत्वपूर्ण भाग है। दिनचर्या एवं खानपान में प्रकृति के साथ समन्वय अत्यन्त आवश्यक है। विश्वविधालय में आगामी सत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से सम्बन्धित विषयों के संचालन की योजना है। कार्यक्रम का शुभारम्भ महात्मा गांधी एवं राष्ट्र रत्न बाबू शिवप्रसाद गुप्त की प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा पुष्पार्चन एवं कलश जल भरण के साथ हुआ।
विशिष्ट अतिथि के रुप में शोभित यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेन्द्र, पूर्व कुलपति तथा निदेशक शेपा, प्रो० पृथ्वीश नाग के साथ ही डा० सुनीता पाण्डेय कुलसचिव, हरिश्चंद्र उप कुलसचिव, सन्तोष कुमार शर्मा वित्त अधिकारी, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविधालय के कुलसचिव राजेश कुमार उपस्थित रहे। अतिथिगण का स्वागत प्रो०सुशील कुमार गौतम (सम्मेलन निर्देशक) व धन्यवाद ज्ञापन अयोजन सचिव प्रो०एन पी सिंह तथा संचालन डा०आरती विश्वकर्मा ने किया। इस अवसर पर कला संकाय की छात्राओं द्वारा राष्ट्रगान, कुलगीत तथा जल गीत की प्रस्तुति की गई।
राज्यपाल ने गंगापुर के घमहापुर में आयोजित काशी अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
इंस्टीट्यूट ऑफ फाईन आर्ट्स एवं संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान में गंगापुर के घमहापुर में आयोजित काशी अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी-2023 (पद्मश्री बाबा योगन्द्र जी को समर्पित) का उद्घाटन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समाज के उचित एवं सकारात्मक विकास के लिए ललित कलाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने पुरस्कृत कलाकारों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों एवं शिक्षकों को इस पुनीत कार्य में सहभागिता हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं भी दी।
इस अवसर पर आईएफए के निदेशक डॉ अवधेश कुमार सिंह ने राज्यपाल एवं सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए काशी अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस प्रदर्शनी में देश-विदेश के करीब 123 कलाकारों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की है। इस प्रदर्शनी में आई सभी कलाकृतियों में से 09 सर्वश्रेष्ठ कृतियों को पुरष्कृत किया गया। प्रदर्शनी में अजिंकिया शिरोडकर (गोवा), किशोर नाकारमी (नेपाल) ममता रानी (कुरुक्षेत्र ), श्रीरूप मन्ना (कोलकाता), विनोद कुमार सिंह (वाराणसी) अरोक्किया राज (चेन्नई), गौतम दास (पश्चिम बंगाल) को पुरस्कार प्रदान किया गया। साथ ही साथ लोबसंग शेरंग (तिब्बत) सांत्वना पुरस्कार राकेश साहू (रायपुर ) आई.एफ.ए. द्वारा कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए श्रीमती अभ्रदिता मैत्रा बैनर्जी को कला सर्जक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रो. आभा मिश्रा पाठक की पुस्तक काशी के व्रत त्यौहार एवं मेले का विमोचन किया गया। धन्यवाद प्रो. सरोज रानी अध्यक्षा संस्कार भारती विश्वविद्यालय इकाई ने किया।
इस अवसर पर डॉ. अवधेश कुमार सिंह निदेशक आईएफए, डॉ अनिल कुमार सिंह ट्रस्टी आईएफए, सुनील कुमार विश्वकर्मा राष्ट्रीय चित्रकला संयोजक संस्कार भारती, संस्थान के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के साथ-साथ कला जगत के विशिष्ट कलाकार एवं संगीतकार प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।