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हरिश्चंद्र कालेज के पूर्व अध्यक्ष के शव के साथ भी हुई थी लापरवाही, कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं
वाराणसी। हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव कक्कू ने कहा था, यहां से निकालिये नहीं तो मर जाएंगे राजेंद्र त्रिवेदी के अनुसार बीएचयू में भर्ती होने के अगले ही दिन सुनील श्रीवास्तव ने फोन कर वहां लापरवाही की बात कहते हुए तत्काल निजी अस्पताल में भर्ती कराने को कहा था। उस समय तक कक्कू की कोरोना रिपोर्ट नहीं आई थी। कक्कू ने आरोप लगाया था कि बीएचयू में कोरोना संक्रमितों के साथ इलाज के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है। भर्ती मरीजों को कोई दवा नहीं दी जा रही है। जानबूझकर मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है, मरीज के पास कोई भी डॉक्टर या अस्पतालकर्मी उसकी तकलीफ की जानकारी या इलाज के लिए नहीं आ रहा है। कक्कू ने यह भी कहा कि रोज एक-दो लोग मर रहे हैं लेकिन इसे आंकड़ों में दर्शाया नहीं जा रहा है। कक्कू और उनके मित्र अधिवक्ता राजेंद्र त्रिवेदी की बातचीत का यह ऑडियो वायरल भी है। वैसे क्लाउन टाइम्स इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है।
कक्कू की कोरोना से मौत के बाद बुधवार को उनकी लाश के साथ भी लापरवाही बरती गई। कोरोना प्रोटोकाल का पालन तक नहीं किया गया। उनका शव बिना सील किये ही घाट पर भेज दिया गया। जिस एम्बुलेंस से शव पहुंचा उसमें कोई कर्मचारी भी नहीं था। यहीं नहीं शव को एम्बुलेंस में पेट के बल ही लेटा कर भेज दिया गया था। परिवार के लोगों को पीपीई किट पहनकर शव एम्बुलेंस से उतारना और शवदाह गृह तक ले जाना पड़ा। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद अत्येष्टि के लिए प्रोटोकाल पहले से तय है। इसके बाद भी नियमों का पालन नहीं किया गया।
कक्कू की मंगवार की रात बीएचयू में मौत हो गई थी। कक्कू के नजदीकी मित्र राजेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि कोरोना से मौत के बाद जो प्रोटोकाल तय है, उसका भी पालन नहीं किया गया। केवल चालक के भरोसे एंबुलेंस से शव घाट पर भेज दिया गया। नियम के तहत दो स्वास्थ्यकर्मी भी साथ नहीं आये। शव को सील भी नहीं किया गया था। राजेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि परिजनों को सुबह दस बजे बीएचयू मोर्चरी पर बुलाया गया था। वहां दो घंटे इंतजार के बाद सीएमओ ने बताया कि एंबुलेंस से शव हरिश्चंद्र घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह ले जाया जाएगा। इसके बाद परिवार के सदस्य हरिश्चंद्र घाट चले गए। वहां इंतजार के बाद एंबुलेंस से केवल चालक शव लेकर पहुंचा। उसने बताया कि शव परिवार के लोगों को ही एम्बुलेंस से शवदाह गृह तक ले जाना होगा। परिवार के लोगों को यह भी बताया गया था कि बॉडी दो लेयर में सील है। सेनेटाइज कर पूरी तरह सुरक्षित है।
परिवार के सदस्यों ने पीपीई किट पहनकर एम्बुलेंस से शव उतारने पहुंचे तो स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही देखकर दंग रह गए। एम्बुलेंस में शव को पेट के बल ही लेटा कर भेज दिया गया था। शव सील तो दूर की बात पूरी तरह ढंका भी नहीं था। सिर और हाथ के साथ ही कमर के उपर का हिस्सा खुला हुआ था।
कक्कू के भाई अजय श्रीवास्तव और परिवार का सदस्यों ने किसी तरह शव एम्बुलेंस से उतारकर सीढ़ी पर रखा तो मुंह से खून निकल रहा था। शव दाहगृह में रखने के लिए भी कुछ लोगों को बुलाया गया और रुपये देकर उनकी मदद से रखवाया जा सका। राजेंद्र त्रिवेदी ने पूरे मामले पर स्वास्थ्य विभाग और बीएचयू प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए लापरवाहियों के लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने इस पर कानूनी कार्रवाई की बात भी कही।
उधर पूरे मामले पर सीएमओ डॉक्टर वीबी सिंह का कहना है कि हरिश्चंद्र घाट पर शव पहुंचने के बाद परिवार के लोगों की ओर से जानकारी मिली थी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजकर शव को सेनेटाइज करने के बाद रैप कराया गया। बीएचयू अस्पताल प्रशासन से भी बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि यहां से सेनेटाइज करने के बाद रैप कर शव सौंपा गया था। वाहन में हिलने के कारण कवर फट गया होगा।