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वाराणसी में "ऊपरी आहार, सही व्यवहार" पर आयोजित हुई पोषण पाठशाला....
बच्चों को सिर्फ दाल, रोटी, चावल व खिचड़ी खिलाने से उनमें जरूरी विकास नहीं हो पाता है। संपूर्ण और तेजी से विकास के लिए बच्चों को भोजन में प्रोटीन, वसा, सोडियम, पोटैशियम, सल्फर, मैग्नीशियम, जिंक, कैल्शियम आदि से युक्त आहार देना चाहिए। छह माह बच्चों को स्तनपान के साथ सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त आहार तो वहीं दो साल से ऊपर के बच्चों को किसी भी प्रकार का जंक फूड नहीं खिलाना है। इससे उनकी पाचन शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही उनके विकास की गति भी धीमी पड़ जाएगी और कुपोषण का शिकार हो जाएंगे।
यह सारी जानकारी पोषण पाठशाला के 'ऊपरी आहार, सही व्यवहार' पर विशेषज्ञों की ओर से दी गई । बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम से जनपद के विभागीय अधिकारी के साथ मुख्य सेविकाएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इस सत्र में एसजीपीजीआई लखनऊ की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य, पोषण विशेषज्ञ आईआईटी मुंबई से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रूपल दलाल, महाराष्ट्र से पोषण विशेषज्ञ दीपाली फरगड़े और राज्य स्तरीय प्रशिक्षक आईएम ओझा व प्रवीण दुबे की ओर से मिली जानकारी जनपद की समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए सहायक सिद्ध होगी। जिससे वह अपने क्षेत्र में लाभार्थियों को उपही आहार के संदर्भ में सटीक जानकारी दें पांएगी। डॉ रूपल दलाल ने आहार में विविधता लाने एवं सूक्ष्म पोषक तत्व, प्रोटीन युक्त शाकाहारी व मांसाहारी, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 युक्त स्रोत के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह ने बताया कि जनपद के 3600 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं सहित 45 हजार से अधिक लाभार्थी पोषण पाठशाला के कार्यक्रम से जुड़े। उन्होने बताया कि पोषण अभियान के अंतर्गत निरंतर वर्चुअल पोषण पाठशाला के जरिये महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जा रही है।