वाराणसी

माता-पिता 8 दिन से सलाखों के पीछे,14 महीने की दुध मुही बच्ची पर जज साहब का नहीं पसीजा दिल

Sujeet Kumar Gupta
26 Dec 2019 4:39 PM IST
माता-पिता 8 दिन से सलाखों के पीछे,14 महीने की दुध मुही बच्ची पर जज साहब का नहीं पसीजा दिल
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मां एकता के कपड़े उठाकर अलमारी में रख रही थी, जिसे देख कर बच्ची चीखने लगी। मानो कह रही हो मां को न ....

वाराणसी। सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित हिंसा के नाम पर आम लोग गिरफ्तारियों की मार तो झेल ही रहे हैं एक साल की चंपक भी एक तरह से गिरफ्तारी की सज़ा भुगत रही है. चंपक की उम्र 1 साल 2 महीने की है. वो इस अर्थ में गिरफ्तार है कि अपने माता पिता से नहीं मिल सकती। रवि यूपी कॉलेज से बीएसी और आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए और पत्नी एकता ने पॉलिटिकल साइंस से पढ़ाई की थी। दोनों क्लाइमेट को लेकर संस्था के जरिए वर्क करते हैं।

बतादें कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली 14 माह की चंपक आठ दिन से अपने माता-पिता की राह देख रही है। उसका रो-रोकर बुरा हाल है। दरअसल, 19 दिसंबर को बच्ची की मां एकता और पिता रविशेखर को पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया है। तब से बच्ची को अपने माता-पिता का इंतजार है।

चंपक की देखभाल बड़ी मां देबोरिता, बड़े पिता शशिकांत तिवारी, दादी शीला तिवारी और बुआ शुभांगी मिलकर कर रहे हैं। चंपक के बिस्तर पर खिलौनों को सजा कर रखा गया है। लेकिन उसका मन अब खिलौनों में नहीं लगता। वह बार-बार अपनी मम्मी और पापा के बारे में जब अपनों से सवाल करती है तो लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं। दोनों की जमानत लोअर कोर्ट से खारिज हो चुकी है। सेशन कोर्ट में 1 जनवरी को फिर से सुनवाई होगी।

परिजन का कहना है कि आठ दिन से घर में कोई सदस्य ठीक से सोया नहीं है। चंपक को किसी तरह मां की तस्वीर दिखाकर सुलाया जा रहा है। चूंकि वह मां का दूध पीती थी तो बाहर से दूध दिया जा रहा है। अक्सर भूखी रह जाती है। बड़ी मां देबोरिता ने बताया कि अब वो मां, मां कहकर रोने लगती है। उन्होंने बताया कि कल वह मां एकता के कपड़े उठाकर अलमारी में रख रही थी, जिसे देख कर बच्ची चीखने लगी। मानो कह रही हो मां को न ले जाओ, बुला दो। चंपक ने खेलना बंद कर दिया है।



दादी बोली- जज साहब हमारा दर्द समझो

रविशेखर की मां और चंपक की दादी की आंखों में आंसू थे। कहा- जज साहब के भी बच्चे होंगे। पुलिस वालों की भी औलाद होंगी। इस बच्ची का दर्द किसी को दिखाई नहीं पड़ रहा है। मेरा बेटा और बहू पर्यावरण क्लाइमेंट एजेंडा को लेकर सोशल वर्क करते हैं। पीसफुल प्रोटेस्ट में उन्हें जेल में डाल दिया गया।

बुआ शुभांगी ने बताया कि भइया की शादी 25 जनवरी 2015 को हुई थी। चंपक 12 जून 2018 को पैदा हुई। मैं भी बीएचयू से पीएचडी कर रही हूं। 19 तारीख से ही अपनी क्लास छोड़ दी है। देबोरिता ने कहा- जेल जाने के बाद से एक मिनट भी मैं चंपक को छोड़ नहीं पा रही हूं। सब्जियों का जूस, उबला पानी, चावल को धोकर एकता कुछ पीसकर बनाती थी और बच्ची को खिलाती थी। अब हम लोग कुछ खिला रहे हैं तो उसका पेट खराब हो जा रहा है।

एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि 19 दिसंबर को वाराणसी में नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 के विरोध में प्रदर्शन में हिंसा फैलाने के आरोप में 56 नामजद और 200 से अधिक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इन्हीं में रविशेखर और एकता भी शामिल हैं। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, बेनियाबाग में एक पार्टी द्वारा सभा में भारी संख्या में लोगों को बुलाया गया था। इसी भीड़ में लोगों ने धक्का-मुक्की, नारेबाजी की। रोड ब्लाॅक, उत्तेजक शब्दों का प्रयोग किया। सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाई।

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