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काशी में मना "प्रसिद्ध कार्तिकई दीपम उत्सव"! हजारों दीपक की रोशनी से जगमग हो उठा बीएचयू...
काशी में आज एक तरह से बीएचयू के एमपी थिएटर मैदान में मिनी दीपावली मनाया गया। इस दौरान एमपी थिएटर ग्राउंड हजारों दीपक से रौशन हुआ। मौका था दक्षिण भारत के त्योहार "प्रसिद्ध कार्तिकई दीपम उत्सव" का। इस दौरान काशी तमिल संगम के कार्यक्रम स्थल बीएचयू के एमपी थिएटर मैदान में 51 सौ से अधिक दीपक से जलाए गए।
काशी में आज मिनी दीपावाली मनाया गया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चल रहे काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में आज प्रसिद्ध "कार्तिकई दीपम उत्सव" मनाया गया। इस दौरान पूरे कार्यक्रम स्थल में 51 सौ से अधिक दीपक जलाए गए। इस कार्यक्रम में बीएचयू के छात्र छात्राओं सहित तमिलनाडु से आए दिल्ली गेट से बड़ी मात्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान आकर्षक दीपोत्सव से पूरा परिसर जगमग रौशन हो उठा। इस आकर्षक दीपोत्सव कार्यक्रम ने वहां मौजूद लोगों का मन मोह लिया। इस दौरान बड़ी संख्या में युवक-युवतियों ने और सेल्फियां भी खिंचवाई।।
पौराणिक कहानियों में इस उत्सव का है उल्लेख
पौराणिक कथाओं का कहना है कि भगवान शिव विष्णु और ब्रह्मा के सामने प्रकाश की ज्वाला प्रकट हुए, जो प्रत्येक खुद को सर्वोच्च मानते थे। अपने वर्चस्व का दावा करने के लिए, भगवान शिव ने उन्हें अपना सिर या पैर खोजने के लिए चुनौती दी। विष्णु ने वराह (वराह) का रूप धारण किया और पृथ्वी की गहराई में चले गए लेकिन खोज नहीं पाए। ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और बताया कि उन्होंने तजहम्पु के फूल की मदद से भगवान शिव की पहचान की है। भगवान शिव ने झूठ को भांप लिया और श्राप दिया कि ब्रह्मा का दुनिया में कोई मंदिर नहीं होगा और उनकी पूजा करते समय थजम्पु फूल का उपयोग नहीं किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन शिव विष्णु के सामने ज्वाला के रूप में प्रकट हुए थे और ब्रह्मा को कार्तिगई दीपम के रूप में मनाया जाता है।
बीएचयू के प्रोफेसर बाला लाखेन्द्र ने बताया कि यह कार्तिक दीपम कार्यक्रम जहां हमारे राष्ट्रीय सेवा योजना के बच्चे दीपजला रहे हैं यह दो सांस्कृतिक केंद्रों का मिलन है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम दोनों राज्यों को संदेश दे रहें कि आज भी हमारे युवा जागरुक है और यह जो काशी तमिल संगमम् के तहत आज कार्तिकई दीपम कार्यक्रम हो रहा है यह एक महत्वपूर्ण एवं सांस्कृतिक चेतना का एक प्रतीक है।