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- वाराणसी में छठ पर्व पर...
वाराणसी में छठ पर्व पर उमड़ा आस्था का ज्वार! घाट किनारे लोगों ने दिया डूबते सूर्य को अर्घ्य अब कल सुबह की तैयारी...
छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है। कल शाम से 36 घंटे का निर्जला व्रत और छठ की मुख्य पूजा शुरू हो गई। आज सभी छठ व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। शनिवार की रात खरना का प्रसाद खाने के बाद से व्रती निर्जला उपवास कर रही हैं। अर्घ्य के वक्त वाराणसी समेत पूरे यूपी के घाटों पर लाखों की भीड़ जुटी है।
दोपहर से ही बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप में सजाकर श्रद्धालु नंगे पांव अपने घर से घाटों की तरफ आए। घाटों पर बाढ़ के चलते भारी अव्यवस्था दिखी लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था के आगे सब कुछ जायज है। व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय स्थित ज्याेतिष विभाग के प्रो. सुभाष पांडेय ने कहा कि सूरज की पूजा करने से किसी भी प्रकार के असाध्य रोग नहीं होते। यह ऐसा पर्व है कि सद्य लाभ मिलता है। सद्य का अर्थ है तत्काल। जिस-जिस कामना से इनकी पूजा की जाती है, वह सब मिलता है। स्वास्थ्य, नौकरी और व्यवसाय में कोई समस्या है तो पूजा के बाद आप बदलाव देखेंगे। तुरंत फायदा होता है।
पूजा में शामिल होने वालों को भी मिलता है लाभ
प्रो. पांडेय ने बताया कि व्रत करने वाली महिलाओं के साथ छठ पूजा में शामिल होने वाले हर व्यक्ति को लाभ मिलता है। पूजा कहीं चल रही हो और कोई दूसरा व्यक्ति जाकर शामिल हो जाए तो निश्चित रूप से लाभ होता है। जिस तरह से भगवान सत्य नारायण कथा में आने वाले और आसपास पड़ोसियों को भी लाभ मिलता है ठीक उसी तरह से डाला छठ में भी फायदा होता है।
छठ महापर्व पर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने सुरक्षा व्यवस्था के चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखी थी। पुलिस कमिश्नर वाराणसी ए. सतीश गणेश कंट्रोल रूम से पूरे शहर पर नजर रखे हुए थे। एडिशनल सीपी संतोष कुमार सिंह एसीपी दशाश्वमेध के साथ लगातार भ्रमण करते रहे।
छठ महापर्व के लिए गंगा घाटों पर आए श्रद्धालुओं ने कहा कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। घाटों से लेकर गंगा तक पुलिस मुस्तैदी के साथ श्रद्धालुओं के लिए खड़ी है। कहीं किसी भी तरह की दिक्कत नहीं है।