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माता अन्नपूर्णा के दर्शन लाभ लेने का आज अंतिम दिन! अगले वर्ष धनतेरस पर फिर खुलेंगे कपाट...
वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के धाम के समीप स्थित प्राचीन मंदिर में धन-धान्य की देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के दुर्लभ दर्शन-पूजन और खजाना स्वरूप प्रसाद पाने का आज आखिरी दिन है। आज भोर में देवी अन्नूपर्णा की पूजा और आरती के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए। दर्शन-पूजन का यह सिलसिला रात 11 बजे तक जारी रहेगा। इसके बाद साल भर स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन नहीं होंगे। अगले साल धनतेरस से प्रतिपदा तक चार दिन पुन: देवी अन्नपूर्णा की सोने की प्रतिमा के दर्शन-पूजन का अवसर मिलेगा।
कल साढ़े पांच घंटे तक बंद थे कपाट
देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन-पूजन बीती 23 अक्टूबर की भोर से शुरू हुआ था। मंगलवार को सूर्य ग्रहण के कारण मंदिर के कपाट दोपहर 2 बजे शाम 7:30 बजे तक बंद थे। इसके बाद फिर श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए कपाट खोल दिए गए थे।
भोलेनाथ को भोजन कराई थीं देवी
पुराणों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा तीनों लोकों की अन्न की माता हैं। मां अन्नपूर्णा ने स्वयं भोलेनाथ को भोजन कराया था। अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत की रचना करने के बाद ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। मंदिर से जुड़ी यह मान्यता भी है कि काशी में भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान कर उनसे भिक्षा मांगी थी। तब मां अन्नपूर्णा ने यह कहा था कि काशी में अब कोई भूखा नहीं सोएगा। मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, यह देश का इकलौता मंदिर है जो श्रीयंत्र के आकार का है। साथ ही, यह एक अकेला ऐसा मंदिर भी है जहां माता अन्नपूर्णेश्वरी देवी, माता भूमि देवी और माता लक्ष्मी देवी एक साथ स्वर्णमयी स्वरूप में विराजमान हैं। उनके पास ही भोलेनाथ की चांदी की प्रतिमा है। इन तीनों देवियों के एक साथ दर्शन से सुख-समृद्धि मिलती है।