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वाराणसी में सभी नामाकंन पत्र वैध होते तो वैलेट पेपर से कराना पड़ता मतदान
वाराणसी : 2019 लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण नामाकंन के बाद जिस तरह से हर उम्मीदवार अपनी जीत का दावा कर रहा था तो वहीं पर कुछ उम्मीदवार को यही डर सता रहा था कि कहीं मेरा नामांकन पत्र में कोई त्रुटि न जिससे कि हम लोकसभा चुनाव मैदान से बाहर न हो जाएँ। लेकिन जिस बात का डर था वही हुआ कि ऐसा कहा जाता हा कि धर्म कि नगरी काशी बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर बसी है तो यहां के कोतवाल बाबा कालभैरव के सानिध्य में हर कोई रहता है। यहां यह देखा गया है कि जब भी कोई काशी की धरती पर कदम रखती है तो बाबा कालभैरव का दर्शन करना नही भूलता है। ऐसे में जब पीएम नरेन्द्र मोदी 2019 लोकसभा चुनाव में नामांकन करने से पहले कालभैरव का दर्शन करना नही भूले।
हालाकिं भारतीय लोकतत्रं की बात कि जाय तो हर किसी को एक समान नजरिये से देखा जाता है। ऐसे में छह दिनों तक चले नामाकंन में पीएम नरेन्द्र मोदी समेत 102 लोगों नें नामाकंन किया जो कि ये दुसरा रिकार्ड बना। 2019 लोकसभा चुनाव में पहले स्थान पर तेलंगाना के निजामाबाद लोकसभा सीट पर जो कि 185 लोग नामाकंन किये थे। यदि सभी नामाकंन पत्र सही होता तो वैलेट पेपर पर चुनाव कराना पड़ता।
वैसे देखा जाय तो वाराणसी की राजनीति हमेशा से करवटे बदलती रही है। एक तरफ तो ऐसा लग रहा था कि यहा पर कुछ खास होने जा रहा है। जब 102 उम्मीदवार चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे है। लेकिन जब जिला निर्वाचन अधिकारी ने नामाकंन पत्रों कि जांच कि तो 70 उम्मीदवारों के नामाकंन पत्र त्रुटिपूर्ण पाये गये। और 32 लोगों का नामाकंन पर वैध पाये गये जिसमें एक ही सीट पर चुनाव लड़ रहे पीएम मोदी का भी नामाकंन वैध पाया गया।
हालांकि एक दौर ये भी आया कि सपा और बसपा गठबंधन ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को दाव लगाया था लेकिन आखिरी पलो में शालिनी यादव को भी नामाकंन करना पड़ा कि कही बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव पर बात नही बनी तो शालिनी यादव सपा से मैदान में होगी। जिला निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर यादव का नामाकंन पत्र त्रूटिपूर्ण पाया और उनको चुनाव मैदान से बाहर होना पड़ा।
इसी दौरान कांग्रेस के समर्थकों में ये बातें चल रही थी कि कांग्रेस से कौन मैदान में आ रहा है तो एक दम फिल्मी अंदाज में पंजे का दामन लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा वाराणसी 2019 लोकसभा चुनाव मैदान में आती है । लेकिन ऐन वक्त पर ऐसा नही हुआ और एक बार फिर से 2014 लोकसभा चुनाव में पराजय झेल चुके अजय राय को हाथ का पंजा चुनाव चिन्ह आवटिंत कर मैदान में उतारा और राय चुनावी सरगर्मी को भापते हुए विपक्ष पर भाषणों के द्वारा निशाना साधते रहे।
लेकिन बनारसियों का अड़भंगी मिजाज अभी तक कोई भी उम्मीदवार भांप नही पाया है कि मतदाताओं का मिजाज और ........ क्या है और किसे वोट देना है