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- कौन हैं IAS एस....
कौन हैं IAS एस. राजलिंगम जिन्होंने ऑनदा स्पॉट बर्खास्त किए शिक्षामित्र, आंगनबाड़ी, सहायिका समेत चार किए बर्खास्त!
यूपीएससी परीक्षा पास कर जब कैंडिडेट्स की ट्रेनिंग पूरी होने तुरंत बाद उन्हें उनका डिपार्टमेंट को सौप दिया जाता है, तो सबसे बड़ा पद आईएएस का माना जाता है. इस अधिकारी को प्रशासन के विभाग और उनपर नियंत्रण भी होता है. विभाग में कोई भी गड़बड़ी होने पर उसे सुधरवाने का काम भी आईएएस के हिस्से भी आता है।
IAS ऑफिसर अपने विभाग के कर्मचारियों के काम को चेक करने के लिए किसी भी समय कहीं भी इंस्पेक्शन के लिए भी जा सकते हैं. आज की ये कहानी ऐसे ही काम पर निकले IAS एस. राजलिंगम की, जिन्होंने ऑन द स्पॉट कई कर्मचारी बर्खास्त भी किए थे. वाराणसी के डीएम बनाए भी गए हैं एस. राजालिंगम तिरुनेलवेली जिले के कदयानल्लुर से हैं.
IAS एस. राजालिंगम पिछले 16 साल से आईएएस अधिकारी बने हुए हैं, हाल ही में उन्हे वाराणसी का डीएम बनाया गया हैं. एस. राजालिंगम ने नवंबर 2022 में कलेक्टर-सह-जिला मजिस्ट्रेट के रूप में पदभार ग्रहण भी किया. वाराणसी इनके लिए पांचवां जिला है जहां वे कलेक्टर हैं. आईएएस ऑिॅफसर बनने से पहले, उन्होंने उत्तर प्रदेश में बतौर IPS का काम भी किया.
IAS एस. राजालिंगम ने मीडिया से बातचीत में ये कहा, कि उत्तर प्रदेश के लोगों ने मुझे स्वीकार कर चौंका भी दिया है. पहले मुझे इस राज्य से कुछ आपत्तियां भी थीं पर मैंने महसूस भी किया है कि यहां के लोग ये मानते हैं, कि तमिल में जो कुछ भी करते हैं ईमानदारी से ही काम करते हैं.
वह प्राथमिक विद्यालय सिकरौल नंबर 1 नगर क्षेत्र में गए. इस दौरान उन्हें शिक्षामित्र, के साथ आंगनबाड़ी और सहायिका समेत 4 लोग ड्यूटी पर नहीं मिले. तो वह बिना बताए गायब भी हो गए थे. ऐसी स्थिति में उन्होंने ड्यूटी पर न मिले लोगों को बर्खास्त करने का निर्देश भी दिया.
डीएम ने विद्यालय परिसर में साफ सफाई न होने पर काफी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने बच्चों से सवाल-जवाब कर शिक्षा की गुणवत्ता परखी और बच्चों के जवाबों से संतुष्ट दिखे। कुछ बच्चों के पास किताबें न होने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने बच्चों से पूछा कि पैसा मिल रहा है कि नहीं, जो डीबीटी के तहत 12 बच्चों को पैसा नहीं मिला था, उस पर काफी नाराजगी व्यक्त की। मौके पर 103 बच्चों में से 45 बच्चे उपस्थित पाए गए।
डीएम ने कहा कि स्कूल में इतने ज्यादा बच्चे नदारत हैं, जिन्हें स्कूल लाने की जिम्मेदारी यहां के शिक्षकों की है व पता करें कि आखिर बच्चे क्यों नहीं आ रहे। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर से बेहतर शिक्षा मिलने से बच्चे भविष्य में बेहतर करेंगे। इसलिए शिक्षा का स्तर बेहतर बनाया जाना चाहिए। हर समस्या का निराकरण कराकर बेहतर पठन-पाठन का माहौल बनाया जाए। सभी अध्यापक समय से विद्यालय आएं और अपने दायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करें। अभिभावकों से भी हमेशा संपर्क बनाए रखें और बच्चों की पढ़ाई को लेकर उन्हें भी प्रेरित करते रहें।