वाराणसी

PAK में कितनी बेटियों के साथ बलात्कार हुआ तब क्यों खामोश थी कांग्रेस?

Shiv Kumar Mishra
19 Jan 2020 5:53 AM GMT
PAK में कितनी बेटियों के साथ बलात्कार हुआ तब क्यों खामोश थी कांग्रेस?
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वाराणसी. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विवि में आयोजित जनसभा में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर जबरदस्त हमला किया. उन्होंने कहा कि हिन्‍दुस्‍तान की जनता ने जो वचन दिया उस पर खरा उतरी, जबकि पाकिस्तान में वर्ष 1947 में अल्पसंख्यक 23 प्रतिशत थे और घटते-घटते तीन प्रतिशत तक पहुंच गया. इसके बावजूद कांग्रेस के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. पाकिस्तान में कितनी ही बेटियों को उठाया गया और उनके साथ बलात्कार किया गया. उनकी जबरिया शादी कराई गई और धर्म परिवर्तन कराया गया, लेकिन कांग्रेस कुछ नहीं बोली.

'नहीं रोईं सोनिया गांधी...'

स्मृति ईरानी ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता जानते हैं कि कांग्रेस में हिन्‍दू और सिख विरोधी आत्माएं लगी हुई हैं, लेकिन यह नहीं जानते थे कि कांग्रेस ईसाइयों के भी विरोध में खड़ी होगी. पाकिस्तान में ईसाइयों के धार्मिक स्थलों पर विस्फोट किया गया तब सोनिया गांधी नहीं रोईं, जब बाटला हाउस में आतंकवादी को मारा गया तब रोई थीं.

कांग्रेस ने धर्म के आधार पर किया बंटवारा

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा राष्ट्रहित में नहीं परिवार हित में स्वीकार किया था. उन्हें परिवार के एक सदस्य को नेता प्रधानमंत्री बनाना था. केंद्रीय मंत्री ने शुरुआत कश्मीरी पंडितों के पलायन और नरसंहार से की. ईरानी ने कहा कि साल 1990 में पाकिस्तान के इशारे पर काला इतिहास हमारे देश का अंग बन गया.

'गोरों को कांग्रेस पार्टी ने अपना संस्कार माना'

केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने कहा कि जब अंग्रेज देश का विभाजन कर रहे थे, तब एक ही बिन्‍दु लेकर चले. उन्होंने हिन्‍दुस्‍तान को खत्म करने के लिए विभाजन धर्म के आधार पर किया. गोरों की इस सीख को कांग्रेस पार्टी ने अपना संस्कार मान लिया. आज जो लोग संविधान की दुहाई देते हैं, उन्हें 72 साल बाद भी इस बात का जवाब नहीं सूझता कि जब धर्म के आधार पर देश का बंटवारा हो रहा था तो कांग्रेस ने उसे क्यों स्वीकार किया था? क्या कोई अपनी मां के बंटवारे की बात स्वीकार कर सकता है?'हिन्‍दू परिवार पाकिस्‍तान में छूटे'

स्मृति ईरानी ने कहा कि जब बंटवारा हुआ तो गांधीजी चाहते थे कि जो हिन्‍दू परिवार पाकिस्तान में छूट रहे हैं, उनका संरक्षण हो. बापू के इस कथन को नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने न सिर्फ स्वीकार किया, बल्कि साकार भी किया. स्मृति ने कहा कि साल 1950 में नेहरू-लियाकत पैक्‍ट हुआ था. इसमें तय हुआ कि पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों का वहां की सरकार संरक्षण करेगी. इस पैक्‍ट के चलते हिन्‍दुस्‍तान ने भी इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया कि अल्पसंख्यक यहां सुरक्षित रहेंगे, तब भारत में 9 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे. वर्ष 2012 में यह आंकड़ा 14 प्रतिशत के पार हो गया.

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