वाराणसी

वाराणसी में "वन स्टॉप सेंटर" की मदद से महिलायें जीत रही शोषण के खिलाफ जंग! हजारों महिलाओं को मिल चुका है न्याय...

Gaurav Maruti Sharma
24 Nov 2022 3:00 PM GMT
वाराणसी में वन स्टॉप सेंटर की मदद से महिलायें जीत रही शोषण के खिलाफ जंग! हजारों महिलाओं को मिल चुका है न्याय...
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वाराणसी में "वन स्टॉप सेंटर" की मदद से महिलायें जीत रही शोषण के खिलाफ जंग! हजारों महिलाओं को मिल चुका है न्याय...

शकुन्तला देवी (परिवर्तित नाम), उम्र 65 वर्ष बताती हैं कि सात साल पहले उनके पति के निधन के बाद इकलौते बेटे और बहू ने उन्हें इतना प्रताड़ित किया कि उन्हें मजबूर होकर अपना घर छोड़कर अपने मायके जाना पड़ा। शुरू में शकुन्तला तो अपनी किस्मत का दोष मानकर आम औरतों की बर्दाश्त करती रहीं। लेकिन एक समय के बाद उन्हें लगा कि उन्हे इस अत्याचार के खिलाफ लड़ना चाहिए । तभी उन्हें एक रिश्तेदार के सहारे 'वन स्टॉप सेंटर के बारे में जानकारी हुई। इस सेंटर पर पहुंचकर उन्होंने अपनी पूरी व्यथा सुनाते हुए न्याय की गुहार लगाई । सेंटर ने उनके केस को दर्ज करने के साथ ही बहू-बेटे को तलब किया। वन स्टॉप सेंटर की पहल नतीजा रहा कि बेटा-बहू उन्हें सम्मान के साथ घर ले आये। अब वह अपने परिवार में काफी खुशहाल हैं। सेंटर उनसे लगातार संपर्क में रहता है।


सिगरा की रहने वाली संगीता (परिवर्तित नाम) के पति अक्सर ही नशे में धुत्त होकर घर लौटते और उसे मारते पीटते रहते थे। हद तो तब हो गयी जब नशेड़ी पति ने घर का खर्चा उठाना बंद कर दिया। इस मुश्किल घड़ी में संगीता को किसी ने वन स्टॉप सेंटर के बारे में जानकारी दी। संगीता ने इस सेंटर पर आकर मदद के लिए गुहार लगाया। सेंटर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए उनके पति को सेंटर पर बुलाकर समझाया गया ना समझने पर कार्यवाही करने की चेतावनी दी गई। नतीजा हुआ कि संगीता के पति ने नशा करना छोड़ने के साथ ही घर की जिम्मेदारियां पुनः संभालनी शुरू कर दी। संगीता बताती हैं आज उनके जीवन में अगर खुशहाली है तो वह वन स्टॉप सेंटर की देन है। यह केन्द्र न होता तो उनका जीवन तो नर्क ही बन चुका था ।

शकुन्तला और संगीता तो महज एक नजीर हैं । पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय परिसर स्थित 'वन स्टॉप सेंटर' छह वर्ष में तीन हजार से अधिक ऐसी महिलाओं को न्याय दिला चुका है जो शोषण का शिकार हो रही थीं ।


वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी रश्मि दुबे बताती हैं कि इस केन्द्र की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी । मकसद महिलाओं को शोषण से बचाने, न्याय दिलाने के साथ ही उन्हें कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करना है । साथ ही ऐसी महिलाओं को स्वालम्बी बनाने में भी यह केन्द्र मदद करता है । वह बताती हैं कि वर्ष 2016 में आठ मार्च को इस केन्द्र की शुरूआत हुई और 31 मार्च 2016 तक 277 महिलाओं ने उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करायी। अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के बीच 425 महिलाओं ने यहां उत्पीड़न की शिकायत की। अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के बीच 816, अप्रैल 2019 से मार्च 2020 में 559, अप्रैल 2020 से मार्च 2021 में 457, अप्रैल 21 से मार्च 22 के बीच 417 के अलावा अप्रैल 2022 से अब तक 268 महिला उत्पीड़न की शिकायतें यहां दर्ज हुई, जिन्हें न्याय दिलाया गया।

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