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भारतीय जनता पार्टी के समीकरणों में फिट बैठने के चलते विजय लक्ष्मी गौतम को लाल बत्ती मिली। बता दें कि महिला होने के साथ ही दलित होना भी उनके पक्ष में गया और पहली बार विधायक बनने के बावजूद वह मंत्री बनने में कामयाब रहीं। देवरिया के इतिहास में यह पहला अवसर है जब पहली बार विधायक चुना गया कोई व्यक्ति मंत्री भी बना है।
विजय लक्ष्मी गौतम बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। समाजशास्त्र से परास्नातक विजयलक्ष्मी ने भाजपा के बैनर तले सक्रिय राजनीति शुरू की। वह भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की एक बार सदस्य भी रही। पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए वर्ष 2012 में सलेमपुर सुरक्षित सीट से टिकट दिया लेकिन तब वह समाजवादी पार्टी के मनबोध प्रसाद से हार गई थीं। 2017 में भाजपा ने इनका टिकट काट दिया और काली प्रसाद को मैदान में उतारा। टिकट कटने के बाद विजयलक्ष्मी सपा में शामिल हो गईं।
बता दें कि सपा ने उन्हें टिकट देकर मैदान में उतारा लेकिन वह चुनाव हार गई और भाजपा के काली प्रसाद विजयी रहे। वर्ष 2022 के चुनाव की दुंदुभि बजी तो ऐन वक्त पर भाजपा में शामिल हो गईं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से पूरी बात होने के बाद ही उन्होंने यह कदम उठाया था। इसका इनाम भी उन्हें मिला और भाजपा ने वर्तमान विधायक काली प्रसाद का टिकट काट कर विजयलक्ष्मी गौतम को प्रत्याशी बनाया था। वह पार्टी की उम्मीदों पर खरी उतरीं और सुभासपा के मनबोध प्रसाद को 14,608 मतों के अंतर से हराकर चुनाव जीत गईं। विजयलक्ष्मी को 80047 मत मिले जबकि मनबोध 65439 वोट ही हासिल कर सके। सलेमपुर विधान सभा क्षेत्र में यह भाजपा की लगातार दूसरी जीत थी। वर्ष 2017 और 2022 से पूर्व भाजपा को यहां 1980 में जीत मिली थी, तब यहां से भाजपा के टिकट पर दुर्गा प्रसाद मिश्र विधायक चुने गए थे।
विजय लक्ष्मी गौतम मंत्री बनेंगी इसका किसी को अंदाजा नहीं था। शुक्रवार की दोपहर जब मुख्यमंत्री आवास पर उन्हें बुलाया गया तब लोगों को इसकी भनक लगी। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं शुरू हो गईं। कुछ समर्थक उन्हें फोन कर बधाई देने लगे तो कुछ फोन नहीं मिलने के चलते निराश दिखे। लार क्षेत्र में उनके कुछ समर्थकों ने पटाखे फोड़ कर बधाई दीं।