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मिशन शक्ति के तीसरे चरण में प्रदेश की महिलाओं को राज्य सरकार की इस योजना का मिलेगा लाभ
लखनऊ। प्रदेश सरकार 21 अगस्त से दिसम्बर माह तक चलने वाले मिशन शक्ति अभियान के तीसरे चरण में मुख्य रूप से पूर्वांचल की महिलाओं को विशेष तोहफा देने जा रही है। उसने गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज और कुशीनगर की महिलाओं को दूध उत्पादन के लिये प्रोत्साहित करने की नई रणनीति बनाई है। इसके लिये बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी की तर्ज पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। प्रत्येक जनपद में महिला समूहों के गठन का काम भी तेजी से किया जा रहा है। प्रत्येक गांव में कम्प्यूटराइज्ड प्रणाली से दूध की खरीद का प्रबंध किया गया है। सरकार का यह प्रयास महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने के साथ उनके सम्पूर्ण विकास को नई राह देना है।
यह पहला मौका होगा जब पूर्वांचल के जनपदों के साथ रायबरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, बरेली, पीलीभीत, खीरी, सीतापुर और रामपुर में भी महिलाएं दूध उत्पादन के क्षेत्र में काम करने जा रही हैं। सरकार इसके लिये 05 महीनों में 01 लाख नए स्वयं सहायता समूहों का गठन करेगी। महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिये यह सारा प्रयास महिला सामर्थ्य योजना के तहत किया जाएगा। योजना के तहत प्रदेश के विभिन्न जनपदों में दुग्ध बाजार की उपलब्धता और दुग्ध संग्रहण की पारदर्शी व्वयस्था बनाई गई है।
महिलाओं को नियमित एवं समय पर दूध के मूल्य का सीधा भुगतान उनके व्यक्तिगत बैंक खाते में किया जाएगा। गौरतलब है कि बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी के माध्यम से बुंदेलखंड के 05 जनपदों (झांसी, जालौन, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट) के 634 गांव की 24180 से अधिक महिला किसानों को जोड़कर प्रतिदिन करीब प्रतिदिन 60,000 लीटर दूध का संग्रहण और व्यापार किया जा रहा है। कंपनी राष्ट्रीय आजीविका मिशन और उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से वित्त पोषित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिसम्बर 2019 में इसका उद्घाटन किया था। इस योजना के तहत महिला किसानों के खाते में भुगतान किया जाता है।
स्वयं सहायता समूहों 500 नई राशन दुकानें की जाएंगी आवंटित
महिलाओं को ग्रामीण रोजगार में बढ़ावा देने के लिये उनको सशक्त बनाने के लिये सरकार मिशन शक्ति के तीसरे चरण में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 500 नई राशन की दुकानें आवंटित करने जा रही है। पहली बार प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को समाज में सम्मान दिलाने के साथ उनको रोजगार से जोड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है।