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"उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल के गठन और पोर्टफोलियो के बंटवारे में योगी की हुई अनदेखी"
उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन हो चुका है, मंत्रियों में पोर्टफोलियो का बंटवारा भी हो चुका है, उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव पूरी तरीके से योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर लड़ा गया और उन्होंने यूपी में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार भी बनवाई बावजूद इसके मंत्रिमंडल के गठन और मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में योगी कि नहीं चली। हालिया मंत्रिमंडल को ऐसा देखकर लगता है, किसे मंत्री बनाना है और किसे नहीं किस मंत्री को कौन सा विभाग देना है इन सबकी रूपरेखा दिल्ली में बैठे लोगों ने तय की।
कोरोना महामारी के दौरान आम आदमी की दुर्दशा पर कड़े शब्दों में योगी को में पत्र लिखकर सरकार की आलोचना करने वाले बृजेश पाठक को ना केवल उपमुख्यमंत्री बनाया गया,बल्कि स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा जैसा अहम पद भी दिया गया।
*पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह की हुई उपेक्षा*
तो वहीं योगी के चहेते जय प्रताप सिंह जी योगी की पहली कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री थे, कोरोना के दौरान प्रदेश का खूब दौरा भी किए थे और 8 वीं बार फिर से चुने गए हैं बावजूद इसके उन्हें कोई पद नहीं मिला।
केशव प्रसाद मौर्य और योगी की तल्खी किससे छुपी है, विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद भी उन्हें दुबारा उपमुख्यमंत्री बनाया जाता है।
*पूर्व जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह को मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह*
तो वहीं योगी के सबसे चहेते मंत्री रहे महेंद्र सिंह जिन्होंने जलशक्ति मंत्रालय में रहकर बाढ़ के दौरान खूब परिश्रम किया, नहरों को सुंदर और सिल्टमुक्त बनाने में पूरा योगदान दिया फिर भी उन्हें कोई मंत्रालय नहीं मिला।
इसी तरह पूर्व आईपीएस अधिकारी राजेश्वर सिंह जिन्हें योगी ने भाजपा में शामिल कराया और वह भी शानदार जीत दर्ज कर विधायक बने बावजूद इसके उन्हें मंत्री न बनाया जाना किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
लोकसभा चुनाव करीब है,चुनाव को देखते हुए जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण काफी मायने रखते हैं ,शायद यही वजह रही होगी जिससे कई पूर्व मंत्रियों को फिरसे मंत्री नहीं बनाया गया।