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उत्तराखंड में छह लोगों की मौत, कई लोग घायल, जानिए पूरा सच और घटना का पूरा जायज
उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार को अतिक्रमण हटाने गई पुलिस प्रशासन की टीम पर उपद्रवियों द्वारा किए गए हमले में 2 लोगों की मौत हो गई. बनभूलपुरा में हुई इस हिंसा के बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं भी सस्पेंड कर दी गई है. इस हिंसा के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी किया गया है. इस बीच नैनीताल की डीएम वंदना सिंह का बड़ा बयान सामने आया है.डीएम ने कहा कि साजिश के तहत पुलिस टीम पर हमला किया गया है.
डीएम ने विस्तार से बताया कैसे हुई हिंसा
डीएम वंदना सिंह ने बताया, 'भीड़ ने थाने को घेर लिया और थाने के अंदर मौजूद लोगों को बाहर नहीं आने दिया गया. उन पर पहले पथराव किया गया और फिर पेट्रोल बम से हमला किया गया। थाने के बाहर वाहनों में आग लगा दी गई और धुएं के कारण दम घुटने लगा...पुलिस थाने की सुरक्षा के लिए ही आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया..बनभूलपुरा में हिंसा के बाद इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं. घटना में अब तक 2 लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. '
#WATCH हल्द्वानी (उत्तराखंड): वन्दना सिंह (डीएम,नैनीताल) ने कहा, "हमने डिमोलिशन अभियान जारी रखने का फैसला किया क्योंकि परिसंपत्तियों पर कोई रोक नहीं था, किसी व्यक्ति का अधिकार नहीं था... विभिन्न स्थानों पर अतिक्रमण हटाने की कानूनी प्रक्रिया चल रही है और इसलिए यहां भी ऐसा किया… pic.twitter.com/nOhwbfo1aq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 9, 2024
सड़कों पर गश्त करती हुई पुलिस
मीडिया से बात करते हुए डीएम वंदना सिंह ने कहा कि जिस जमीन को खाली कराया गया है वो कोई धार्मिक जगह नहीं है बल्कि सरकारी रिकॉर्ड में वो वन विभाग की जमीन है जिसे हमने खाली करवाया. जो ढांचा गिराया गया वह मदरसे के नाम पर पंजीकृत नहीं था. उन्होंने कहा कि लेकिन साजिश के तहत पुलिस टीम पर हमला किया गया और हमले की लंबी प्लानिंग की गई थी जिसके तहत पत्थर इकट्ठा किए गए, पेट्रोल बम बनाए गए और फिर हमला किया गया.डीएम वंदना सिंह ने बताया कि पुलिस स्टेशन पर पेट्रोल बम से हमला किया गया. सीसीटीवी के जरिए आरोपियों की पहचान की जा रही है.
भीड़ के पास थे पेट्रोल बम
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीएम ने कुछ वीडियो दिखाए और कहा कि अकारण ही पुलिस प्रशासन की टीम पर हमला किया गया. डीएम वंदना सिंह ने बताया, 'अतिक्रमण हटाने का अभियान शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ था और किसी भी हालात से निपटने के लिए फोर्स तैनात की गई थी. पहले हमारी नगर निगम की टीम पर पथराव किया गया. योजना बनाई गई थी कि जिस दिन अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया जाएगा उस दिन हमला किया गया.पत्थर फेंकने वाली पहली भीड़ को तितर-बितर कर दिया गया और दूसरी भीड़ आ गई जिसके पास पेट्रोल बम थे. हमारी टीम ने कोई बल प्रयोग नहीं किया.'
कोर्ट के आदेश के बाद चलाया था अभियान
डीएम ने कहा, 'हाईकोर्ट के आदेश के बाद हल्द्वानी में जगह-जगह अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई. सभी को नोटिस और सुनवाई का समय दिया गया.कुछ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, कुछ को समय दिया गया, जबकि कुछ को समय नहीं दिया गया. जहां समय नहीं दिया गया वहां पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की ओर से तोड़फोड़ अभियान चलाया गया. यह कोई पृथक गतिविधि नहीं थी और किसी विशेष परिसंपत्ति को लक्षित नहीं थी.'
स्कूल बंद, इंटरनेट सस्पेंड
नैनीताल की जिला मजिस्ट्रेट वंदना ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए हल्द्वानी में कर्फ्यू लगाया गया है, जबकि शहर में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं, साथ ही क्षेत्र में स्कूलों को बंद रखने का आदेश भी जारी किया गया है. कोई भी शख्स अत्यावश्यक कार्यों (मेडिकल इत्यादि) को छोड़कर घर से बाहर नहीं निकलेगा. जिले में इंटरनेट को बंद कर दिया गया है ताकि असामाजिक तत्व उसके जरिए अफवाह ना फैला पाएं.
हालांकि यह आदेश शासकीय सेवक, पुलिसकर्मी, सशस्त्र बल पर लागू नहीं होगा. अत्यावश्यक कार्यों के लिए नगर मजिस्ट्रेट, हल्द्वानी की अनुमति से ही यात्रा की अनुमति होगी. इस आदेश का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के अन्तर्गत कार्रवाई की जाएगी.
सीएम बोले- कठोरतम कार्रवाई करेंगे
इस बीच सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'दंगाइयों और उपद्रवियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करेंगे. हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई घटना के संबंध में शासकीय आवास पर अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर वर्तमान स्थिति की समीक्षा की. पुलिस को अराजक तत्वों से सख़्ती से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं. आगजनी पथराव करने वाले एक-एक दंगाई की पहचान की जा रही है, सौहार्द और शांति बिगाड़ने वाले किसी भी उपद्रवी को बख्शा नहीं जायेगा .. हल्द्वानी की सम्मानित जनता से अनुरोध है कि शांति व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस-प्रशासन का सहयोग करें.'
दंगाइयों और उपद्रवियों के विरुद्ध करेंगे कठोरतम कार्रवाई
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 9, 2024
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई घटना के संबंध में शासकीय आवास पर अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर वर्तमान स्थिति की समीक्षा की।
पुलिस को अराजक तत्वों से सख़्ती से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। आगजनी पथराव करने… pic.twitter.com/e5VdmR7y0o
हाईकोर्ट ने दिया था अतिक्रमण हटाने का आदेश
ये सारा बवाल एक मदरसे और नमाज स्थल के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई के बाद हुआ. प्रशासन के मुताबिक, मदरसा अवैध था 30 जनवरी को नगर निगम ने ढहाने का नोटिस दिया था. तीन एकड जमीन का कब्जा निगम ने पहले ही ले लिया था. मदरसा और नमाज स्थल भी सील कर दिया गया था. मदरसा चलाने वाली संस्था हाईकोर्ट गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज क
इस घटना पर पत्रकार रवीश कुमार ने कहा
उत्तराखंड में छह लोगों की मौत हुई है। कई लोग घायल हैं। विपक्ष के बड़े नेताओं को उत्तराखंड के बनभूलपुरा जाना चाहिए। वहां जाकर और ठहर कर चीजों का पता लगाना चाहिए। वहाँ जो हुआ है वह क़ब्ज़ा हटाने के नाम पर कुछ और भी नज़र आता है। वहाँ की ख़बरों में सरकार का ही पक्ष भरा है। ऐसे मामलों में विपक्ष के बड़े नेताओं को मैदान में जाकर रोकने और संवाद करने का साहस दिखाना चाहिए। आप बहुसंख्यक आबादी को गोदी मीडिया और व्हाट्स एप के प्रोपेगैंडा के सहारे नहीं छोड़ सकते। चुनावी ध्रुवीकरण तो वैसे भी हो रहा है।
विपक्ष इस तरह से चुप्पी लगाता रहेगा तोदेश भर में सामने आ रही सरकारी सांप्रदायिकता से नहीं लड़ पाएगा। इन बातों का भाषणों में ज़िक्र कीजिए। उत्तराखंड में भयंकर बेरोज़गारी है मगर बहस किस चीज़ को लेकर पैदा की जा रही है। वहाँ के युवाओं ने अगर यही भविष्य चुन लिया है तो दुखद है। उन्हें अख़बारों और चैनलों से सावधान रहने की ज़रूरत है।
दिल्ली में रातों रात मस्जिद का वजूद मिटा दिया गया। दिल्ली शहर के लोगों ने अनदेखा कर दिया। वे हर ज़्यादती में अपनी चुप्पी के साथ शामिल होते जा रहे हैं। विपक्ष के नेता क्या मौक़े पर गए, आस-पास के लोगों को बताया कि क्या हो रहा है?
हिंदी के अख़बारों में मस्जिदों पर दावों की ख़बरें भरी रहती हैं। कभी नीचे मंदिर होने तो कभी अतिक्रमण हटाने का सहारा लेकर तनाव पैदा किया जा रहा है ताकि बाद की कार्रवाई से वोट के लिए माहौल बने। ऐसी अनेक ख़बरों से गुज़रते हुए साफ़ लगता है कि कोर्ट, पुलिस, सरकारी विभाग और गोदी मीडिया के अख़बार लगातार ऐसी ख़बरों और बयानों से हिंदू वोट बनाने में लगे हैं। ये बहुत दुखद और शर्मनाक है।
नीचले स्तर पर कोर्ट की भूमिका पर बात होनी चाहिए। बात बात में सर्वे और स्टे के ज़रिए यह खेल खेला जा रहा है ताकि सब कुछ क़ानूनी लगे। सुप्रीम कोर्ट को अलग-अलग अदालतों में चल रहे ऐसे दावों और मामलों को देखना चाहिए। न्यायालय की व्यवस्था उसके हाथ में है। भारत में अदालती सांप्रदायिकता( court communalism) का एक नया ही रूप देखने को मिल रहा है।
कम से कम सुप्रीम कोर्ट को उसका संरक्षक नहीं बनना चाहिए और न अनजान रहना चाहिए।