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Joshimath News : Hotal Malari In के मालिक ठाकुर सिंह राणा बोले, मुझे केंद्र और राज्य सरकार से बेहद नाराज हूँ
जोशीमठ में रहने वाले लोगों के जीवन में आज का दिन शायद सबसे बुरा दिन होगा, जब वे अपनी आंखों के सामने अपने आशियाने को उजड़ते हुए देखेंगे। जोशीमठ की जमीन धंस रही है। कई घरों में चौड़-चौड़ी दरारें आ गई हैं। 81 परिवार को उनके घरों से निकाल कर सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया गया है। केंद्र की तरफ से बनाई गई एक टीम मंगलवार को जोशीमठ का दौरा करेगी और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की उन इमारतों की निगरानी कर रहा है, जिनमें दरारें आ गई हैं।
अधिकारियों ने कहा है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में जिन इमारतों में दरारें आ गई हैं और बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं, उन्हें आज गिरा दिया जाएगा, ताकि आस-पास की इमारतों की सुरक्षा की जा सके। खतरा कितना ज्यादा है इसे देखते हुए, जोशीमठ को तीन जोन में बांटा गया है, 'डेंजर', 'बफर' और 'कंप्लीटली सेफ'।
अधिकारियों ने बताया कि डूबते जोशीमठ में कुल 678 इमारतों में दरारें आ गई हैं। जो सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें गिरा दिया जाएगा। डेंजर जोन में कई घरों के अलावा, दो होटल - माउंट व्यू और मलारी इन भी हैं, जो एक-दूसरे की ओर झुके हुए हैं। इन दोनों होटल को भी गिराया जाएगा।
ANI ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि होटल मलारी इन और माउंट व्यू, जिनमें ज्यादा दरारें आ गई हैं। उन्हें गिरा दिया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी निवासियों को 'असुरक्षित जगहों' से सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया है।
चमोली DM ने ANI को बताया, "अनसेफ जोन के तहत चिन्हित इमारतों को खाली कर दिया गया है और इसके आसपास के बफर जोन को भी खाली किया जा रहा है। आज केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI), रुड़की की एक टीम यहां आएगी और वे उन इमारतों की पहचान करेंगे, जिन्हें गिराने की जरूरत है। उनके मार्गदर्शन में ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।"
विध्वंस कार्य में जिला प्रशासन की मदद के लिए एक राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है। NDRF ने एएनआई को बताया, "विशेषज्ञ जमीन पर हैं और प्रशासन उनके निर्देशों और सलाह पर कार्रवाई करेगा।"
मुझे केंद्र और राज्य सरकार से बहुत तकलीफ है। ये होटल जनहित में तोड़ा जा रहा है कोई बात नहीं मैं प्रशासन के साथ हूं। बस मुझे नोटिस देना चाहिए और मेरा आर्थिक मूल्यांकन कर देना चाहिए, मैं यहां से चला जाऊंगा। मेरा आग्रह है आर्थिक मूल्यांकन किया जाए: ठाकुर सिंह राणा, मलारी इन के मालिक pic.twitter.com/ASArXSwIOG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 10, 2023
'होटल के अलावा कमाई का और कोई जरिया नहीं'
Malari Inn के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा, "हमें न तो सूचना दी गई और न ही कोई नोटिस दिया गया। हमें आज सुबह करीब 4 बजे अखबार में एक खबर से तोड़फोड़ के बारे में पता चला। इसमें लिखा था कि मंगलवार सुबह नौ बजे से विध्वंस अभियान शुरू होगा। इसके अलावा हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। मैं केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से कहना चाहता हूं कि उन्हें कम से कम हमें जानकारी देनी चाहिए थी। और क्योंकि जोशीमठ खतरे में है, वे हमें जाने से क्यों रोक रहे हैं? मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि सरकार हमें आर्थिक रूप से समर्थन दे और हमें इलाका छोड़ने दें।"
मलारी इन के मालिक ने आगे कहा, "मेरे पास होटल के अलावा इनकम का कोई दूसरा सोर्स नहीं है। मेरा मलारी में एक छोटा सा घर है। अगर संपत्ति शहर के निवासियों के लिए परेशानी पैदा कर रही है, तो अधिकारी प्रॉपर्टी को गिरा सकते हैं, लेकिन मैं सरकार से मुझे आर्थिक रूप से समर्थन देने के लिए अनुरोध करूंगा।"
भूस्खलन और धंसने के कारण होटल में दरारें पड़ने के बारे में बोलते हुए, मालिक ने कहा, "जब होटल में दरारें आईं, तो हमें नोटिस दिया गया था कि सभी निवासियों और पर्यटकों को बाहर निकाला जाना चाहिए। हालांकि, हमें सूचित नहीं किया गया था कि हम क्या करें इलाके छोड़े या नहीं। हमने सुबह जोशीमठ के जिलाधिकारी को एक ईमेल भेजा। जोशीमठ के डूबने के पीछे सरकार की लापरवाही मुख्य कारण है।"
नहीं रुक रहे आंखों से आंसू
जिला प्रशासन की तरफ से असुरक्षित बताए घरों तोड़ने की जानकारी मिलने के बाद से उन घरों में रह रहे लोगों की आखों के आंसू नहीं रुक रहे हैं। ANI से बात करते हुए एक निवासी बिंदु कहती हैं, "यह मेरा मायका है। 19 साल की उम्र में मेरी शादी हुई थी। मेरी मां 80 साल की हैं और मेरा एक बड़ा भाई है। हमने मेहनत करके और कमाई करके ये घर बनाया है। हम यहां 60 साल रहे, लेकिन अब ये सब खत्म हो रहा है।" बिंदु के साथ घर से दूसरी औरतें भी रोती हुईं बाहर निकलीं।
ऐसा ही कुछ हाल रेखा का भी है, जिनता घर रेड जोन में हैं। रेखा की आंखों से लगातार आंसू बह रहे हैं और वे अपने फोन में अपने घर की आखिरी झलक को याद के तौर पर कैद कर रही हैं। घर खाली करते हुए रेखा कहती हैं, "उनका पूरा बचपन इस घर में भाई-बहनों के साथ बीता. अब इस घर को छोड़कर जाना एक दर्दनाक पल है।" इन लोगों के सामने अपने भविष्य की चिंता भी है। हालांकि, सरकार की तरफ से अभी सिर्फ इतना ही कहा गया है कि हर प्रभावित परिवार को अगले 6 महीने तक हर महीने 4000 रुपए मिलेंगे।
जहां एक तरफ इन सभी लोगों को पुनर्वास की चिंता सता रही है, तो वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोगों को आश्वासन दिया, 'पुनर्वास में कोई समस्या नहीं आएगी। केंद्र सरकार ने हर संभव मदद देने का वादा किया है।'