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Joshimath Crisis : जोशीमठ छूटने का दर्द : फफक-फफक कर रोतीं महिलाएं, रूला देंगे ये दृश्य
Joshimath Crisis : अपना घर-बार छोड़कर दूसरी जगह विस्थापित होना क्या होता है, इसका दर्द जोशीमठ के लोगों में देखा जा सकता है। अपनी भरी-पूरी गृहस्थी छोड़कर लोग दूसरी सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं। अपनी जड़ से दूर होना उन्हें काफी तकलीफ देने वाला है। दिल को झकझोर देने वाला और भावुक कर देने वाले दृश्य जोशीमठ के मनोहर बाग से आए हैं। यहां लोग घरों का थोड़ा-बहुत समान अपने साथ लेकर जा रहे हैं। अपना आशियान छूटने पर उनका दिल भारी है और वे रो रहे हैं। महिलाएं अपनी पीठ पर सिलेंडर लादकर अपने घरों को छोड़ रही हैं। पुरुषों के हाथों में गृहस्थी के कुछ सामान हैं।
'मेरा मायका छूट रहा, कब लौटूंगी पता नहीं'
सभी की आंखों में दर्द एवं पीड़ा झलक रही है। एक महिला ने रोते हुए कहा कि उसका मायका छूट रहा है, उसे पता नहीं कि वह दोबारा यहां कब आएगी। महिलाएं रोते हुए गले मिलकर एक-दूसरे को विदा कर रही हैं। एक महिला ने कहा कि उसे पता नहीं कि वह दोबारा यहां कब आएगी। लोगों का सामान रास्ते पर है। लोग कहीं किराए के मकान तो कहीं रिश्तेदारों के घर शरण ले रहे हैं। इमारतों एवं घरों में दरार के बाद प्रशासन लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रहा है। विस्थापित होने वाले लोगों के लिए उत्तराखंड सरकार ने अस्थायी व्यवस्था की है। फिर भी, लोगों के मन में डर है कि वे दोबारा अपने घर लौट पाएंगे कि नहीं।
यह आँसू #Joshimath के हालात बयाँ कर रहे हैं। @pushkardhami जी, सवाल यह है की इन आँसुओं को कौन पोंछेगा? #Uttarakhand #JoshimathIsSinking #bjpfailsindia pic.twitter.com/jCBgFXkiPc
— Netta D'Souza (@dnetta) January 12, 2023
आज तक विनियमित नहीं हुआ जोशीमठ
इतिहास के पन्नों को खंगालें तो जोशीमठ जैसे महत्वपूर्ण शहर को लेकर यूपी से लेकर उत्तराखंड तक की सरकारों की बेपरवाही नजर आती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों को विनियमित किया था लेकिन इसमें जोशीमठ नहीं था। राज्य बनने के बाद 2011 में भवन निर्माण एवं विकास विनियम आया। इसके बाद राज्य ने 2013 में अपने बायलॉज जारी किए। लेकिन आज तक जोशीमठ विनियमित नहीं हो पाया। हालात यह हैं कि यहां कैसे निर्माण हो, इसे समझने, देखने और लागू करने वाला कोई नहीं।
केंद्र व राज्य के नियमों के हिसाब से जो भी इलाका भू-स्खलन प्रभावित हो, वहां निर्माण करने पर रोक है। 1976 में मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में इस क्षेत्र को भूस्खलन से प्रभावित करार दिया गया था। इसके बावजूद निर्माण जारी रहे। दूसरा नियम यह है कि 30 डिग्री से अधिक स्लोप वाली जगह पर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता। जोशीमठ में इस नियम की भी धज्जियां उड़ाई गईं। जहां मौका मिला, बड़ी इमारतें खड़ी होती चली गईं।