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लैंगिक समानता पर विशेष ध्यान देना होगा- स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। महिला समानता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि 21 वीं शताब्दी में हम सभी को लैंगिक समानता पर भी विशेष ध्यान देना होगा ताकि लैंगिक आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव न हो। बेटों और बेटियों को बचपन से ही शिक्षित करने के साथ समानता के संस्कारों से पोषित करना अत्यंत आवश्यक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मातृशक्ति के बिना संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। ''मातृशक्ति के बिना तो संसार ही नहीं है, वे हैं तो संसार है; बेटियाँ है ंतो सृष्टी है बाकी सब बाद में है। बेटियाँ अपने में शक्ति को जागृत करें, अपनी शक्ति को समझे और फिर पूरे समाज में उस शक्ति का संचार करे तो विलक्षण परिवर्तन होगा। शक्ति और प्रकृति दोनों ही बहुत ही विलक्षण शब्द है और सारा संसार इसी से बना है।'
स्वामी जी ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रहे सभी प्रकार के भेदभावों को हर जगह से समाप्त करना ही सही मायने में महिला सशक्तिकरण है। हम सभी को यह विचार करना जरूरी है कि जो नारी प्रति दिन अपने घरों, समुदायों और दुनिया में व्यापक स्तर पर प्रेम, सद्भाव, स्वास्थ्य और सुरक्षा लाने के लिए लगन से काम करती हैं उन सभी माताओं, बहनों, मित्रों शिक्षकों, कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों, लेखकों आदि अनेक क्षेत्रों में कार्यरत सभी नारी शक्तियों की सेवा को नमन जो अपने से अधिक देखभाल दूसरों की करती है उनके साथ समानता का व्यवहार अत्यंत आवश्यक है।
हमारे देश में महिलाओं की आधी से अधिक आबादी हैं इसलिये महिलाओं की ज़रूरतों, सुरक्षा और प्राथमिकताओं पर विशेष ध्यान देना होगा। महिलाओं का सम्मान और सशक्तीकरण ही महिला समानता दिवस का उद्देश्य है।