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जानें कब लागू होगी National Education Policy, इन 7 बातों में समझे सामने खड़ी चुनौतियां
देश में 34 वर्ष बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( National Education Policy ) की घोषणा की गई। इस नई शिक्षा नीति ( New Education Policy ) को कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि हर बच्चे को कम के कम एक रोजगार ( Employment ) के लिए तैयार किया जा सके। इसके साथ ही सभी बच्चों को स्कूल तक लाने का प्रयास हो और देश को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की तरफ कदम बढ़ाया जा सके।
हालांकि इस घोषणा के साथ ही अब पूरे देश की नजरें इसके लागू होने पर टिकी हुई हैं। जो इतना आसान दिख नहीं रहा है। हालांकि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पीएम मोदी ( PM Modi ) ने हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है। यही नहीं देश की जीडीपी ( GDP ) का 6 फीसदी खर्च करने का वादा भी शामिल है। हालांकि इसके साथ ही इस नई शिक्षा नीति को लागू करने में कई चुनौतियां भी हैं जिनको पार पाना बहुत जरूरी है। आईए जानते हैं सरकार ने 21वीं सदी की इस शिक्षा को लागू करने के लिए क्या लक्ष्य रखा है और वो कितना सार्थक होगा।
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अगर 2022 तक इस पॉलिसी के कुछ पहलुओं को क्लासरूम तक पहुंचाना है तो इसके लिए सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है स्किल्ड टीचर। इस शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सरकार को सबसे पहले इस नीति के मुताबिक टीचरों को ट्रेंड करना होगा। इसके बाद ही अलग सभी लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
2025 तक न्यू प्री-प्राइमरी एजुकेशन उलब्ध करवाना
इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य प्री-प्राइमरी एजुकेशन यानी तीन से पांच वर्ष के स्टूडेंट्स को 2025 तक उपलब्ध करवाना है।
2030 तक नई शिक्षा पर सभी की पहुंच
नई शिक्षा नीति के तहत सभी को शिक्षा मुहैया करवाना भी सरकारका लक्ष्य है, जिसे 2030 तक पूर्ण करना है। 3 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
ये हैं चुनौतियां
1. CBSE के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली के मुताबिक 'नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बहुत सारे बदलाव लाई है और इन्हें लागू करने के लिए शिक्षक के माइंडसेट और स्किलसेट दोनों पर ही काम करने की जरूरत है।
2. नई शिक्षा नीति में सबसे बड़ा बदलाव तीन साल से छह साल की उम्र के छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए औपचारिक शिक्षा में प्रवेश कराने को लेकर माना जा रहा है। लेकिन क्या आंगनबाड़ी केंद्र इसके लिए दक्ष हैं?
3. नई नीति के हत अब 12 की जगह 15 साल की स्कूली व्यवस्था पर फोकस है। प्री स्कूल पर ध्यान बढ़ेगा। देशभर में एक पैटर्न पर करिकुलम भी होगा। लेकिन प्रशासनिक तौर पर इतने बड़े स्तर पर यह कैसे संभव होगा? ये आने वाले कुछ वर्षों में साफ होगा।
4. नई नीति के तहत सरकार बच्चों के विकास के लिए एक्सपेरिमेंटल, इनोवेटिव लर्निंग जैसे बदलाव लाई है, लेकिन इन्हें लागू करने के लिए ट्रेंड टीचर की कमी है।
5. शिक्षा नीति में ऑनलाइन एजुकेशन की बात है, लेकिन कई लोगों के पास साधन नहीं है। ऐसे में लागू करने से पहले उस पर गंभीरता से विचार करना होगा।
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6. माध्यमिक शिक्षा में 5+3+3+4 पैटर्न लागू करने की बात कही गई है। यानी माध्यमिक शिक्षा अब 12 साल की बजाए 14 साल की होगी। अब सवाल यह है कि इसका विभाजन कैसे होगा?
7. सरकार ने उच्च शिक्षा में प्रवेश न्यूनतम 50 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन यह साफ नहीं किया कि इस शिक्षा नीति से पढ़कर निकले छात्र बाजार की चुनौतियों के लिए कितने सक्षम होंगे।