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Manipur Violence : मणिपुर में हैवानियत का नंगा नाच? वो रोती रही भीड़ हंसती रही? N Biren Singh
जिस वक़्त प्रधानमंत्री मोदी जी 2024 के चुनाव के लिए 38 दलों को अपने साथ जोड़कर ख़ुद को मज़बूत दिखाने में लगे हुए थे, उस वक़्त मणिपुर की कुछ महिलाओं का एक वीडियो वायरल हो रहा था. वीडियो में वो महिलाएं बिना कपड़ों के हैं. एक भीड़ उनके कपड़े उतार चुकी है और उन्हें नोचते-खसोटते है।
हुए धान के एक खेत की तरफ़ ले जा रही है गैंगरेप करने के लिए. ये महिलाएं उस मणिपुर में क़रीब 3 महीने से चल रही हिंसा की शिकार हुई हैं, जहां पर डबल इंजन सरकार चल रही है. ये घटना 4 मई की बताई जा रही है, लेकिन इसका वीडियो अब वायरल हो रहा है. पुलिस को दी गई शिकायत में बी. फाइनोम नाम के गांव के मुखिया ने इस घटना का पूरा ब्योरा दिया है. शिकायत में कहा गया है कि 4 मई की शाम को क़रीब 3 बजे लगभग 800-1000 लोगों की भीड़ आई, जो शायद मैतेई संगठनों के लोग थे. इनके पास एके राइफल्स, एसएलआर, इनसास जैसे ऑटोमैटिक हथियार थे.
(आपको मालूम ही है, ये हथियार सिर्फ सुरक्षा बल इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्हीं से लूटकर ये भीड़ को दिए गए थे. ये भी आरोप लगे कि कई जगह मणिपुर पुलिस ने बिना विरोध हथियार ले जाने दिए. खैर, वाकये पर लौटते हैं.) इस भीड़ ने उनके गांव को लूटा और घरों में आग लगा दी.
भीड़ से जान बचाने के लिए 3 महिलाएं और 2 पुरुष जंगलों में भाग गए. उन्हें पुलिस की एक टीम बचाकर पुलिस स्टेशन ले जाने लगी. भीड़ ने रास्ता रोककर पुलिस से उन्हें छीन लिया. 56 साल के एक आदमी को भीड़ ने वहीं मार डाला. 21 साल, 42 साल और 52 साल की तीन महिलाओं के कपड़े फाड़े और
निर्वस्त्र करके घुमाया. ये वीभत्स जुलूस, इसके बाद धान के खेतों की ओर गया, जहां 21 साल की लड़की को उसके 19 साल के भाई के सामने गैंगरेप किया, जब उसके भाई ने रोकने की कोशिश की, तो उसे मार डाला. बाद में तीनों महिलाएं कुछ लोगों की मदद से वहां से भाग निकलीं.
ये सब बातें ग्राम प्रधान ने पुलिस को दी शिकायत में लिखी हैं. स्थानीय मीडिया में छपी भी हैं. एक फ़ोन करके दो देशों की लड़ाई रुकवाने का प्रोपेगैंडा चलाने वालों से अपने देश के राज्य में 3 महीने से चल रही हिंसा नहीं रोकी जा रही. ‘मेरा बूथ सबसे मज़बूत’ कैंपेन चलाने वाले उस राज्य में 3 महीने से चल रही हिंसा नहीं रोक पा रहे, जहां उन्हीं की सरकार है. ‘बहुत हुआ नारी पर वार’ वाला नारा चुनावों के लिए सुरक्षित है. महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को राहुल गांधी पर ट्वीट करने से फ़ुरसत नहीं है. पूरी सरकार के लिए चुनाव ही पहली और आख़िरी प्राथमिकता है
साल 2013 की बात है. तब तत्कालीन सत्ताधारी काँग्रेस के सीनियर लीडर्स से मिलना हो जाता था. उस दौरान एक बात लगभग सभी बड़े नेताओं में नोट कर रहा था~ ‘9 साल सत्ता में रहने के बाद लगभग सभी में बला का arrogance आ गया था, एक ठसक सी आ गई थी.’ उन्हें लगने लगा था कि ‘अब उनका तख़्त कोई नहीं हिला सकता, कोई है ही नहीं, जो उन्हें तख़्त से उतारे.’ पर ऐसा नहीं हुआ. वे लोकतंत्र के हाथों खदेड़े गए और बेहतरीन तरीक़े से खदेड़े गए.
आज की सत्ताधारी बीजेपी को भी 9 साल हो गए हैं. वही arrogance, वही ठसक इस सरकार के सीनियर्स में भी दिखने लगी है. वही, इनकी देखा-देखी, नीचे काम कर रहे कार्यकर्ताओं में भी आ गई है. इन्हें लगने लगा है कि ‘अब इनका तख़्त कोई नहीं हिला सकता, कोई है ही नहीं, जो इन्हें उनके तख़्त से उतारे.’ पर ऐसा नहीं है.
यह देश सिर्फ़ ‘नेत्रहीन समर्थकों’ का ही देश नहीं है, बल्कि सोचने-समझने वाले नागरिकों का देश भी है. यदि यही arrogance, यही ठसक बरक़रार रही तो प्रजातंत्र के हाथों यह भी खदेड़े जाएँगे और बेहतरीन तरीक़े से खदेड़े जाएँगे. याद रहे, कई राज्यों में खदेड़े भी गए हैं. क्योंकि यह देश आज भी लोकतंत्र की ताक़त और उसकी मज़बूत बुनियाद पर खड़ा है. इसकी ज़मीन के नीचे की हलचल कभी-कभी धरातल के शोर में दब जाती है, पर जब यही हलचल तेज़ हो जाती है तो फिर धरातल पर सिर्फ़ बदलाव आता है और कुछ नहीं.
स्मरण रहे कि हम जिस संसार में रहते हैं उसे ‘जगत्’ भी कहते हैं, जहाँ सब कुछ गतिमान है. कुछ भी ठहरा हुआ या स्थायी नहीं. सबको चलते रहना है. यहाँ देह से दुनिया तक, चला-चली का अद्भुत चलन है, और इस चलन में जो ठीक से नहीं चलेंगे, वे एक दिन चलते कर दिए जाएँगे.